विधानसभा चुनाव 2022 की तेज होती आहट ने जिला विकास प्राधिकरणों पर लोगों के लिए राहत का रास्ता खोल दिया है। सरकार पर्वतीय जिलों में जिला विकास प्राधिकरणों को स्थगित करने आदेश जारी करने जा रही है। सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के ऐलान के बाद पर्वतीय जिलों के लोगों के चेहरों पर मुस्कान तैर गई है। हालांकि पर्वतीय क्षेत्रों में नियोजित विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार को अब नए उपायों के बारे में भी सोचना होगा।
– पर्वतीय जिलों में जिला विकास प्राधिकरण का हो रहा था भारी विरोध
– अब प्राधिकरणों को स्थगित करने का आदेश जारी होने जा रहा है
दरअसल, पिछले पांच सालों से प्राधिकरणों के गठन का मामला कई तरह के रास्तों से होेकर गुजरा है। कांग्रेस की पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार के जमाने से ही इस दिशा में काम शुरू हो गया था, लेकिन कोई न कोई व्यावहारिक पेंच सामने आता ही गया। हरीश रावत सरकार ने 20 से ज्यादा विनियमित क्षेत्रों को विकास प्राधिकरण घोषित कर दिया था। यानी इन सभी क्षेत्रों में भी किसी भी तरह के निर्माण के लिए मानचित्र पास करने की अनिवार्यता लागू हो गई थी। इससे पहले, सिर्फ मसूरी-देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल के क्षेत्र विशेष में ही प्राधिकरण बनाए गए थे। 2017 में राज्य में भाजपा सरकार के काबिज होने के बाद नए सिरे से प्राधिकरणों का मसला उठा, तो सरकार नए फैसले के साथ सामने आई। इस क्रम में सभी जिलों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण बनाने का निर्णय लिया गया।
जिला विकास प्राधिकरण के गठन के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में यह व्यवस्था दी गई कि सभी निकाय क्षेत्र तो इसमें शामिल होंगे ही, राष्ट्रीय राजमार्गों से एक निश्चित दूरी में स्थित ग्रामीण इलाके भी इसका हिस्सा होंगे। इस फैसले का पर्वतीय क्षेत्र में जबरदस्त विरोध हो रहा था। विधानसभा स्तर की एक कमेटी भी गठित करनी पड़ी थी। सरकार ने सैद्धांतिक तौर पर स्वीकार किया कि पर्वतीय क्षेत्रों में व्यावहारिक दिक्कतें पेश आ रही है। इस व्यवस्था को बदलने का सीएम ने कुछ समय पहले ठोस संकेत दे दिया था। अब अल्मोड़ा (कुमाऊं) के एक कार्यक्रम में सीएम ने गुरुवार को बकायदा इसका ऐलान कर दिया है।
जिला विकास प्राधिकरणों के गठन के बाद पर्वतीय क्षेत्रों में आम आदमी को निर्माण संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। पहाड़ में कम घनी आबादी के कारण इस फैसले की व्यावहारिकता पर सवाल उठ रहे थे। इसके अलावा, प्राधिकरण का ढांचा खड़ा न होने के कारण मानचित्र पास होने के मामले कई कई दिनों के लिए लटक रहे थे। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में विकास प्राधिकरण स्थगित करने का आदेश जल्द ही कर दिया जाएगा।