(नैनीताल)हाईकोर्ट ने बाहरी लोगों तथा राज्य में आ रहे उत्तराखंड के प्रवासी लोंगों की राज्य की सीमाओं पर थर्मल टेस्टिंग के साथ रैपिड टेस्टिंग और एंटीजिंग टेस्टिंग की व्यवस्था करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 15 मई तक समय दिया है। साथ ही कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के वालिंटियरों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। यह लोग रिलीफ कैंप में जाकर मौका- मुआयना कर प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे।
– कोर्ट ने राज्य और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के वालिंटियरों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया
– ये रिलीफ कैंप में जाकर मौका मुआयना करेंगे और प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से हरिद्वार निवासी सचिदानन्द डबराल की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए। याचिका में कोरोना वायरस से बचाव के लिए घोषित लॉक डाउन से प्रभावित लोंगों की मदद करने की मांग की गई थी। पिछली सुनवाई में महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि उत्तराखंड में अन्य राज्यों के करीब 40 हजार मजदूर हैं जबकि करीब दो लाख उत्तराखंड के लोग अन्य राज्यों में फंसे हैं। वह उत्तराखंड आना चाह रहे हैं। इन लोगों ने उत्तराखंड आने के लिये पंजीकरण भी कराया है। सरकार इन्हें लाने का प्रयास कर रही है।
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 व इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमैन एक्ट 1979 का पालन कर पा रही है या नहीं? बुधवार को सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि बाहरी राज्यों से आने वाले प्रवासियों की जांच व देखभाल के लिए राज्य सरकार ने 49 रिलीफ कैंप स्थापित किए हैं। इनमें जांच की जा रही है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को थर्मल टेस्टिंग के साथ साथ रैपिड टेस्टिंग और एंटीजिंग टेस्टिंग की 15 मई तक व्यवस्था करने के लिए आदेशित किया।