देहरादून, ईश्वर सबका है उस पर हर जाति धर्म के बंदे का समान अधिकार है, फिर उच्च और निम्न वर्ग की तलवार क्यों ईश्वर की आराधना में बाधक बन रही थी? नैनीताल हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए सभी वर्गों के लिए भगवान की पूजा और मंदिरों में प्रवेश की अनुमति पर जाति और धर्म की दीवार को गिरा दिया है, जिससे अब हर वर्ग का व्यक्ति पूजा करने के लिए मंदिर में प्रवेश पा सकता है और ईश्वर की पूजा पाठ में भी सहयोग कर सकता है।
अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि, “किसी भी जाति का कोई भी व्यक्ति अब मंदिर का पुजारी बन सकता है बशर्ते वह व्यक्ति उस पद के लिए योग्य हो,” नैनीताल हाईकोर्ट ने अपने इस आदेश में कहा है कि उच्च कुलीन पुजारी SC ST श्रद्धालुओं को पूजा कराने से मना नहीं कर सकते और निम्न वर्ग के अन्य लोगों को उत्तराखंड के किसी मंदिर में पूजा करने और प्रवेश करने से नहीं रोका जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में अदालत ने यह भी कहा है कि मंदिरों का पुजारी किसी भी जाति का हो सकता है, लेकिन वह पुजारी पद के लिए प्रशिक्षित और योग्य हो। गौरतलब है कि विष्टि न्यायमूर्ति राजेश शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। राजस्थान निवासी पुखराज और अन्य दो ने जनहित याचिका दायर की थी इसमें हरिद्वार में हर की पौड़ी में स्थित स्वामी रविदास मंदिर को लेकर सुनवाई चल रही थी जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया है।
साथ हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में छुआछूत के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए छुआछूत को संविधान सहित देश के ढांचे के खिलाफ बताया है, उसने कहा है कि संविधान की धारा 17 द्वारा छुआछूत समाप्त की जा चुकी है धारा 46 के तहत किसी भी वर्ग के लोगों के साथ सामाजिक अन्याय और उनका शोषण ना होने की व्यवस्था की गई है। हाई कोर्ट के इस फैसले से एक बड़े वर्ग में खुशी की लहर है और उनका कहना है कि जब भगवान सबके हैं तो इस तरह का भेदभाव क्यों आखिरकार हाई कोर्ट का फैसला सामाजिक दृष्टि से भी एक उम्मीद बन कर आया है।