हाईकोर्ट कोर्ट ने पूछा- बच्चों को बचाने के लिए आप लोग क्या कर रहे

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कोरोना जांच
हाईकोर्ट ने कोरोना के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि डेल्टा वेरिएंट एक महीने में पूरे देश में फैल गया था और डेल्टा प्लस वेरिएंट को तीन महीने भी नहीं लगेंगे। फिर हमारे बच्चों को बचाने के लिए आप लोग क्या कर रहे हैं।
कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव के तीसरी लहर को लेकर बच्चों के लिए तीन माह तक विटामिन सी और जिंक आदि की दवाएं देने की दलील पर तीखी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप बच्चों को ये दवाएं कब खरीद कर देंगे, जब तीसरी लहर आ जाएगी तब दवाएं खरीदने की प्रकिया पूरी करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस जीओ को अगले हफ्ते या 30 जून तक जारी करने की बात कह रहे हैं वो जीओ कल क्यों नहीं जारी हो सकता। आज शाम पांच बजे तक जारी क्यों नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि जब महामारी में वॉर फूटिंग पर काम करने की जरूरत है तब आप लोग ब्यूरोक्रेटिक बाधाएं पैदा कर काम को बोझिल कर देरी कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि देहरादून में तीसरी लहर से लड़ने को बच्चों के लिए आपके पास 10 वेंटिलेटर हैं, बताइये 80 बच्चे क्रिटिकल हो गए तो 70 बच्चों को मरने के लिए छोड़ देंगे। कोर्ट ने कहा कि एफिडेविट में आपने माना है कि रुद्रप्रयाग में 11 वेंटिलेटर हैं जिसमें नौ खराब हैं। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि कोर्ट ने सिर्फ जिला अस्पतालों की डिटेल मांगी थी हमारे पास मेडिकल कॉलेजों व निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर-आईसीयू के और इंतजाम हैं। कोर्ट ने कहा कि आपको जानकारी देने से किसने रोका है। कोर्ट ने कहा कि क्या जब तीसरी लहर में हमारे बच्चे मरने लगेंगे, तब सरकार की तैयारियां होंगी। कोर्ट ने कहा कि बच्चों के लिए कितने वार्ड बनाए हैं। जिस पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि अगली सुनवाई के दौरान बता पाएंगे कि कितने वार्ड तैयार हो पाएंगे। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हम बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में ट्रीटमेंट देंगे, जो मॉडरेट और माइल्ड केस होंगे उन्हीं को जिला अस्पतालों में उपचार के लिये रखेंगे।
कोर्ट ने कहा कि टाइमफ्रेम के साथ तैयारियों का स्तर बताइए। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल में डेल्टा प्लस वेरियंट केस आ चुके हैं आपकी तैयारियां कहां पहुंची। कोर्ट ने कहा कि आप तैयारियों को लेकर समय बताएं कब तक क्या करेंगे। आपके पास पांच मेडिकल कॉलेज हैं तो बाकी जिलों के बच्चों का क्या होगा। उदाहरण के लिए बताइए बागेश्वर और पिथौरागढ़ के बच्चों के लिए क्या करेंगे। कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए मैं पैरेंट हूं और बागेश्वर में रहता हूं रात्रि को अपने बच्चे को लेकर कहां पहाड़ों में भागूंगा। हेल्थ सेक्रेटरी ने कहा कि कोरोना, हार्ट अटैक जैसी बीमारी नहीं, पहले बुखार होगा दूसरे सिम्टम आएंगे फिर ज‌िला अस्पताल से लेकर सुशीला तिवारी हॉस्पिटल लाया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए मेरे बच्चे को एक्यूट रेस्पिरेटरी डिजीज है और चमोली में रहता हूं बताइए कहां लेकर जाऊंगा। हाईकोर्ट ने कहा कि आपका पर्याप्त एम्बुलेंस का दावा झूठा है। दिल्ली-फरीदाबाद में एंबुलेंस नहीं मिली और आप कहते हैं आपके पास उत्तराखंड में पर्याप्त एम्बुलेंस हैं। आप पर्याप्त एंबुलेंस की बात करते हैं लेकिन खबरें आती हैं कि पहाड़ों में गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस नहीं मिली और पालकी से ले जाना पड़ता है। हमें मूर्ख बनाना बंद करिए हकीकत हमें पता है। हेल्थ सेक्रेटरी अमित नेगी ने कहा कि अगले एफिडेविट में तीसरी लहर को लेकर तैयारियों की पूरी जानकारी देंगे। कोर्ट ने कहा कि डेल्टा प्लस वेरियंट के मूल खतरे को आप समझ नहीं पाए। उसमें ऑक्सीजन युक्त एंबुलेंस की सबसे ज्यादा दरकार है। कोर्ट ने कहा कि राज्य में 0-18 आयु के बच्चे कितने हैं और ऑक्सीजन युक्त कितनी एंबुलेंस हैं उसकी जानकारी अगली सुनवाई को बताएं। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई में राज्य में बच्चों के लिए कितने आईसीयू, बेड, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और एम्बुलेंस हैं, इसकी जानकारी दें।
ब्लैक फंगस को लेकर भी कोर्ट ने सरकार की तैयारियों को लेकर लगाई फटकार 
 कोर्ट ने कहा कि ध्यान रहे हम कोरोना और ब्लैक फंगस से एक साथ दोहरा युद्ध लड़ रहे हैं और आपकी तैयरियां कैसी हैं किसी से छिपी नहीं हैं। याचिकाकर्ता दुष्यंत मैनाली ने कहा कि राज्य सरकार जो मेडिकल उपकरण खरीद भी ले रही है तो उनको ऑपरेट करने वाले नहीं होने से मरीजों को पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है। कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को आदेश देते हुए कहा है कि वे अपने अगले शपथ पत्र में बताएं कि प्रदेश में कुल कितने गांव सड़क से नहीं जुड़े हैं, इन गांवों का निकटस्थ रोड हेड कितनी दूर है, स्वास्थ्य विभाग के पास कुल कितनी एंबुलेंस हैं, 108 सेवा के पास कितनी एंबुलेंस है, यह सभी एंबुलेंस कहां-कहां तैनात की गई हैं, कितनी एंबुलेंस संचालन में हैं और कितनी बेकार पड़ी हैं। तीसरी लहर के लिए बाल रोग विशेषज्ञों की जो हाई पावर कमेटी बनाई गई थी और उसने अपनी रिपोर्ट में जो संस्तुतियां दी हैं उनके अनुपालन का क्या स्टेटस है। प्रदेश में बच्चों के लिए कुल कितने वार्ड कितने अस्पतालों में हैं और उनमें कितने पीडियाट्रिक बेड हैं। प्रदेश में कौन से ऐसे सरकारी अस्पताल हैं जिनमें अब तक बच्चों के वार्ड नहीं हैं। ग्राम स्तर पर स्थित पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पूरे प्रदेश में कितने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, सिलेंडर आदि की सुविधा है और किनमें नहीं है। सरकार रामनगर में तीसरी लहर के लिए कोविड-19 के अलग बड़े अस्पताल की स्थापना के लिए कितनी तैयार है। पौड़ी में स्थित लवाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं की बहाली और पानी का कनेक्शन लगाया जाए। तीसरी लहर के लिए यदि डॉक्टरों की कमी पड़ती है तो सुरक्षा बल सेना आदि के चिकित्सकों की सेवा लेने पर भी सरकार अभी से तैयारी करे। कोर्ट ने मुख्य सचिव और अपर सचिव पर्यटन आशीष चौहान को कोर्ट में उपस्थित होकर यह बताने को कहा है कि चार धाम यात्रा के संबंध में राज्य कैबिनेट ने क्या निर्णय भविष्य के लिए लिया है।
कोर्ट में 7 जुलाई को इस मामले की दोबारा सुनवाई होगी। उस दिन मुख्य सचिव के साथ स्वास्थ्य सचिव भी उपस्थित रहेंगे और उन्हें 7 जुलाई तक अपना शपथ पत्र विस्तृत विवरण के साथ दायर करना होगा।
कोर्ट की टिप्पणी
राज्य सरकार की ओर से किया गया डेथ ऑडिट पूर्णतया अस्पष्ट और भ्रमित करने वाला है क्योंकि अधिकांश मृत्यु हृदय गति रुकने से बताई गई है। दूसरी लहर में कितने लोग मात्र कोविड-19 के कारण मरे यह नहीं बताया, साथ ही पूरे शपथ पत्र में स्वास्थ्य सचिव ने तर्कहीन तथ्य प्रस्तुत किए हैं। कोर्ट ने कहा की मृत्यु का ऑडिट करते समय कोर्ट के पूर्व आदेश का उल्लंघन करते हुए राज्य सरकार ने निकायों की ओर से जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्रों के सापेक्ष मृत्यु की गणना नहीं की। इसलिए राज्य सरकार की ओर से कराए गए डेथ ऑडिट की सत्यता को कोर्ट द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता।