हाईकोर्ट नैनीताल ने फिर अतिक्रमण मामले में दिखाई सख्ती

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High court strict on encrochment
Anti Encroachment
देहरादून। राजधानी समेत पूरे प्रदेश में अवैध अतिक्रमण की बाढ़ है। एक बार फिर उच्च न्यायालय नैनीताल में उत्तराखंड सरकार को इस मामले में सचेत किया है तथा अवैध अक्रिमण हटाने का निर्देश दिया है। मंगलवार को इस आशय का आदेश जारी किया है। इस संदर्भ में प्रशासन भी उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेश को स्वीकारता है लेकिन प्रतिक्रिया देने से अधिकारी बच रहे हैं। जिस भी अधिकारी से चर्चा हुई उनका कहना था कि आदेश की प्रतिलिपि मिलने के बाद ही टिप्पणी की जा सकती है।
देहरादून की नदियों पर हुए अवैध निर्माणों पर गम्भीरता दिखाते हुए शासन-प्रशासन को सख्त निर्देश दिया है कि वह नदी, नालों और खालों में हुए अवैध निर्माणों को हटाना सुनिश्चित करे। नदी, नालों और खालों पर हुए अंधाधुंध अतिक्रमण और अवैध निर्माणों के कारण दून का मूल स्वरूप पूरी तरह से बिगड़ चुका है। इस पर नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा एक बार फिर सख्त रूख अपनाते हुए अपनी टिप्पणी  में शासन-प्रशासन को निर्देश दिये गये है कि दून की सभी नदियों जिसमें रिस्पना और बिंदाल भी शामिल हैं तथा खालों को पुराने रूप में बहाल करने के लिए उनके क्षेत्र में हुए अवैध निर्माणों को हटाया जाए।
बीते वर्ष नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिक्रमण को पूरी तरह हटाने तथा अवैध बस्तियों को ध्वस्त करने के निर्देश दिये गये थे। प्रशासन द्वारा बड़े जोर शोर से राजधानी की सड़कों पर महाअभियान भी चलाया गया था लेकिन प्रशासन की ढीली चाल और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण यह अभियान ठप हो गया था।
बात जब नदी, नालों और खालों में बसी सैकड़ों बस्तियों को उजाड़ने की आयी तो सरकार ने भी इस पर आपत्ति जताई। यही नहीं अध्यादेश लाकर इन तमाम अवैध बस्तियों को बचा लिया गया था। सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि इन बस्तियों में रहने वालों के लिए वह एक साल के अन्दर अटल आवास योजना के तहत बनने वाले घरों में आवास की व्यवस्था करेगें लेकिन इसके बाद सरकार ने भी इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। नगर निगम द्वारा वर्तमान में भी दून में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।