देहरादून। लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के करीब 1200 वर्कचार्ज कर्मचारियों के लिए राहतभरी खबर है। विभाग में वे कर्मचारी भी अब पेंशन के हकदार होंगे, जो एक अक्टूबर 2005 या इसके बाद नियमित हुए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इस बाबत प्रमुख अभियंता को निर्देश जारी कर दिए हैं।
लोनिवि में प्रदेशभर में करीब 1200 वर्कचार्ज कर्मचारी नई पेंशन नीति लागू होने की तिथि एक अक्तूबर 2005 या इसके बाद नियमित किए गए। जबकि, इनकी नियुक्ति इस तिथि से पहले ही विभाग में की जा चुकी थी। विभाग ने ऐसे कर्मचारियों को पेंशन का लाभ देने से इन्कार कर दिया था। अधिकारियों का तर्क था कि इन कर्मचारियों का नियमितीकरण नई पेंशन नीति लागू होने के बाद हुआ है, लिहाजा ये पेंशन के हकदार नहीं होंगे। इसको लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी और कोर्ट ने माना था कि ऐसे सभी कर्मचारियों को पेंशन का लाभ मिलेगा, जो एक अक्टूबर 2005 या इसके बाद नियमित हुए हैं। हालांकि इसके लिए किसी भी वर्कचार्ज कर्मचारी की नियुक्ति इस तिथि से पहले होनी चाहिए और उन्होंने विभाग में 10 साल भी सेवा संतोषजनक रूप से पूरी कर ली हो। हाईकोर्ट के इस आशय का आदेश जारी होने और उस पर अपर मुख्य सचिव के निर्देश मिलने के बाद लोनिवि ने इस दायरे में आने वाले कर्मचारियों की सूची तैयार करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। मुख्य अभियंता स्तर-एक स्तर से सभी सर्किल कार्यालयों को इसका ब्योरा मांगा गया है।
वित्तीय भार का आकलन समझ से परे
लोनिवि दैनिक/नियमित कार्यप्रभारित कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष बाबू खान का कहना है कि संगठन के अथक प्रयास के बाद कोर्ट से वर्कचार्ज कर्मचारियों को उनका अधिकार देने का रास्ता खुल पाया है। विभाग ने इसकी कसरत भी शुरू कर दी है, लेकिन कर्मचारियों का ब्योरा जुटाने के साथ ही अधिकारी इससे पड़ने वाले व्यय भार व वार्षिक व्यय भार की जानकारी भी मांग रहे हैं। यह बात समझ से परे है कि जिस कर्मचारी को भविष्य में रिटायर होने है, उसकी पेंशन के व्यय भार का आकलन आज कैसे किया जा सकता है। इस औपचारिकता से अनावश्यक रूप से प्रकरण की पेचीदगी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।