केंद्र सरकार ने देशभर में प्लास्टिक के इस्तेमाल के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। इसके तहत सबसे पहले सिंग्ल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में पर्यटकों का बड़ा योगदान है। लेकिन ये भी सच है कि राज्यभर में बेतरतीब तरह से पनप रहे पर्यटन व्यवसाय के कारण अब राज्य में पर्यावरण को लेकर संकट कड़ा होता जा रहा है। इसी चुनौती से निपटने के लिये उत्तराखंड के लोगों ने खुद चुनौती का सामना करने की तैयारी कर ली है। संजय शर्मा डरमोदा सीनियर एडवोकेट और सॉलिसिटर, दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य में आने वाले लाखों पर्यटकों को जागरूक करने के लिये “हिट म्यार पहाड़” मुहिम की शुरुआत की है।
इस मुहिम का मकसद है पहाड़ आने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करने के साथ ही पर्यटकों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना। हिट म्यार पहाड़ के अंतर्गत
- दिल्ली में एक पहाड़ी फ्लैशमोब का आयोजन किया जायेगा
- गीतों के माध्यम से उत्तराखन में पर्यटकों को बुलाने का प्रयास होगा।
- उत्तराखण्ड में आने वाले सभी पर्यटकों को #PlannedTourism व #ResponsibleTourism के प्रति जागरूक करेंगे।
- युवा आर्टिस्ट रुहान भारद्वाज व करिश्मा शाह अपनी कला के माध्यम से लोगों को उत्तराखण्ड के बारे में बतायेंगे।
- प्लास्टिक के इस्तेमाल में कमी लाने के बारे में जागरूकता फैलाई जायेगी
इस कार्यक्रम के बारे में बात करते हुुए संस्थान के रमन शैली ने बताया कि “हिट म्यार पहाड़ एक प्रयास है कि पर्यटक अधिक से अधिक प्लानिंग व साधनों की बुकिंग करके उत्तराखंड पहुँचे। साथ ही सिंगल यूज़ प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें व कूड़ा एकत्रित करके चिन्हित जगहों पर ही डालें।”
दिल्ली में इस कार्यक्रम का आयोजन रविवार 15 सितंबर शाम 5:30-6:30 बजे तक इंदिरापुरम हैबिटैट सेन्टर, इंदिरापुरम में किया जायेगा। इसके अलावा संस्थान इसे बेैंगलोर समेत अन्य शहरों में भी आयोजित करने की तैयारी में है।
शैली कहते हैं कि “पहाड़ का वातावरण मानव के लिए है, किसी भी प्रकार का वेस्ट हमारे लिए पूर्णतः हानिकारक है। नदियों का पानी यदि यहीं से गंदा होगा तो आगे बहकर और परेशानी का कारण बनेगा। ध्यान, अध्यात्म व धार्मिक स्थानों पर प्लानिंग से आना बहुत जरूरी है।”
जहां एक तरफ राज्य सरकार उत्तराखंड में मौजूदा पर्यटक स्थलों के साथ की नये और पर्यटक स्थलों को चिन्हित करने में जुटी है, वहीं ये भी सच है कि अगर पर्यटकों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूक नहीं किया गया तो आने वाले समय में राज्य को इसका विपरीत परिणाम देखने पड़ सकते हैं। इस काम में सरकार के साथ पर्यटन उद्योग से जुड़े हर व्यक्ति की भागीदारी होना बेहद ज़रूरी है।