उपचार नहीं मरीजों को दर्द बांट रहा राजकीय चिकित्सालय

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ऋषिकेश। मरीजों को बेहतर सेवा देने के लिए सरकार भले ही प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है। करोड़ों की लागत से बना ऋषिकेश का राजकीय चिकित्सालय चिकित्सकों एवं बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में सफेद हाथी बनकर रह गया है।
वर्षों से चिकित्सकों के टोटे से जूझ रहे गढ़वाल के मुख्य द्वार के इस सरकारी अस्पताल में रिक्त पड़े पदोंं पर चिकित्कों की मांग के साथ साथ बेहतर चिकित्सीय सुविधाओं को लेकर कई आंदोलन हुए, लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की नजरें चिकित्सालय पर इनायत नहीं हो पा रही हैं। चिकित्सालय में मुट्ठी भर जो चिकित्सक तैनात हैं, वह भी मरीजों के प्रति लापरवाह बने हुए हैं। यहां तक की ड्यूटी ऑवर में भी वह अपनी कुर्सी पर बैठना मुनासिब नहीं समझते हैं। ऐसे में इलाज के लिए अस्पताल आने वाले मरीजों का दर्द और बढ़ जाता है। अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं का अभाव भी बना हुआ है। जांच के नाम पर भी खानापूर्ति की जाती है। बावजूद इसके जिम्मेदार इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझते हैं। शहर में बीमारियों के प्रकोप के बावजूद अस्पताल में मरीजों के लिए किसी भी तरह का कोई खास इंतजाम देखने को नहीं मिल रहा है। शायद यही वजह है कि अब सिर्फ गरीब तबके के रोगी ही अस्पताल पर निर्भर रह गए हैं। दोपहर के वक्त अस्पताल परिसर में पसरे आये दिन के सन्नाटे से इसकी पुष्टि की जा सकती है। गेट पर बैठे चौदह बीघा निवासी सुरेंद्र रयाल ने बताया खांंसी व बुखार काा इलाज करने के लिए वह 9 बजे बजे से अस्पताल में बैठे हैं, लेकिन चिकित्सक नहीं पहुंचे हैं। उल्टी-दस्त व बुखार की दवा लेने आई गंगा नगर निवासी रचना नौटियाल भी चिकित्सक के इंतजार में अस्पताल परिसर में बैठी नजर आईं। इन सबके बीच बड़ा सवाल ये है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवा का दावा करने वाली उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार की नजरें गढ़वाल के मुख्य द्वार के सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले ऋषिकेश के राजकीय चिकित्सालय पर आखिरकार कब इनायत हो पाएंगी।
ठिठुर रहे हैं रोगी
सर्दी में अस्पताल की बदइंतजामी मरीजों का दर्द बढ़ा रही है। सरकारी अस्पताल में सभी मरीजों को कंबल नहीं मिल रहे हैं। जिन्हें कंबल दिए जा रहे हैं वे गंदे हैं। ऐसे में तीमारदारों को रजाई और कंबल का खुद ही इंतजाम करना पड़ रहा है। वहीं, कुछ वार्डों में खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। यहां भर्ती सब मरीजों को कंबल भी नहीं दिए जा रहे हैं। कुछ मरीजों को कंबल दिए हैं वे गंदे हैं। चादर भी चार से पांच दिन में बदली जा रही है। मरीज घर से कंबल और रजाई लेकर आ रहे हैं।
इस मामले में ऋषिकेश राजकीय चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक एनएस तोमर का कहना था कि पिछले कई वर्षों से राजकीय चिकित्सालय में 28 डॉक्टरों की कमी चली आ रही है, जिसके लिए शासन को सैकड़ों पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन पूरे गढ़वाल में डॉक्टरों का अभाव होने के कारण यहां चिकित्सक नहीं भेजे जा रहे हैं। इस कारण गंभीर लोगों को हायर सेंटर के लिए रेफर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त अन्य स्टाफ की काफी कमी है कुछ डॉक्टर संविदा पर रखे गए हैं, लेकिन वह भी कम पड़ रहे हैं।