दस साल पीछे हो गया है होटल व्यवसाय : प्रवीण शर्मा

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कोरोना
आर्थिक मंदी और कोरोना संकट से उत्तराखंड में होटल व्यवसाय की कमर तोड़ दी है। इस व्यवसाय में मंदी का ऐसा दौर आया है कि होटल व्यवसाय 10 साल पीछे चला गया है। यह बात नॉर्दन इण्डिया होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन बोर्ड के एक्जिक्यूटिव बोर्ड मेम्बर और नैनीताल के मशहूर होटल के स्वामी प्रवीण शर्मा ने कही है।
मंगलवार को उन्होंने कहा कि होटल व्यवसाय का देश की जीडीपी में 14 प्रतिशत का योगदान है, वहीं देश के कुल कर्मचारियों में नौ प्रतिशत इसी व्यवसाय से आते हैं। शर्मा ने कहा कि उत्तराखण्ड में 32 प्रतिशत कर्मचारी इसी व्यवसाय में हैं और प्रदेश की जीडीपी में इसका सहयोग लगभग 25 प्रतिशत है। यदि पर्यटन की सभी शाखाओं को जोड़ दिया जाये तो लगभग 250000 कर्मचारी इससे जुड़ा हुआ है, जिसमें टैक्सी व्यवसाय और रीवर राफ्टिंग इत्यादि वाले भी सम्मलित हैं। उन्होंने कहा कि अनलाक 2 में होटल खोल दिये गये हैं, परन्तु नैनीताल के 95 प्रतिशत होटल आज भी बंद है। समाजसेवी तथा होटल कारोबार से जुड़े कांति कुमार ने कहा कि कोरोना संकट से होटल व्यवसाय का सबसे अधिक नुकसान हुआ है। देहरादून के सबसे बड़े होटल के मालिक जावेद इलियास का कहना है कि उनके यहां 200 कर्मचारी काम करते थे, आज केवल 25 कर्मचारी कार्यरत हैं।110 कमरों के होटल में केवल एक कमरे में व्यक्ति ठहरा है। इसी तरह शहर अन्य होटल मालिकों का भी यही हाल है।
यदि हम होटल खोल भी दें तो क्या फर्क पड़ेगा, जब प्रदेश में सैलानी ही नहीं आ रहे हैं। होटल मालिकों ने सरकार के उस आदेश की आलोचना की कि जिसमें कहा गया है कि जो भी आयेगा उसे कोविड टेस्ट करवाना होगा। वहीं कोरोना टेस्ट तब तक नहीं होगा, जब तक कोई लक्षण न हो। यह दोनों बातें विरोधाभासी हैं, जिनके कारणों से सैलानी उत्तराखण्ड की तरफ रूख नहीं कर रहे है और होटल व्ययसाय गति नहीं पकड़ रहा है। सरकार का यह आदेश है कि जो प्रदेश में आने वाला पहले वह स्मार्टसिटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाये और फिर 72 घंटे का कोविड टेस्ट कराकर लाये। होटल व्यायसायियों का कहना है कि यदि समय रहते सरकार ने इस विषय में कोई उचित निर्णय नहीं लिया तो इस व्यवसाय का भविष्य बहुत अनिश्चित हो जायेगा।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड टूरिज्म डेवलपमैण्ट बोर्ड के अनुसार प्रदेश में इस समय लगभग 3000 होटल हैं, इनमेें होम स्टे भी शामिल हैं। इन होटलों के 45000 कर्मचारी बेरोजगार हो गये हैं।