कोरोना के कारण पिछले करीब दो महीने से बंद पड़े होटल व्यवस्याइयों के सामने आने वाले दिन मुश्किलों भरे दिख रहे हैं। राज्य के हजारों होटल आदि लॉकडाउन के कारण बंद पड़े हैं। और तो और चारधाम यात्रा सीजन तो शुरू हो गया है लेकिन, लोगों की आवाजाही और होटलों के बंद होने के कराण व्यापारियों के हाथ से सीजन निकलता जा रहा है।
होटल व्यापार से जुड़े लोग अब सरकार से मदद की उम्मीद लगाये बैठे हैं। उनका कहना है कि बिना सरकार की मदद के आने वाले महीनों में राज्य का होटल उद्योग खत्म होने की कगार पर आ जायेगा। उत्तराखंड होटल असोसियेशन के अध्यक्ष, संदीप साहनी का कहना है कि, “राज्य में करीब 3,000 पंजिकृत होटल हैं और करीब इतने ही बिना पंजीकरण के। इस उद्योग से राज्य की जीडीपी का करीब 30% आता है और लाखों की संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है।” साहनी का कहना है कि इस उद्योग को बचाने के लिये राज्य सरकार को :
- होटल व्यवस्याईयों को सरकार द्वारा इंटरेस्ट फ्री लोन मुहैया कराया जाये।
- सभी राज्य / नगरपालिका लाइसेंस की वैधता का विस्तार 12 महीने की के लिये बढ़ाया जाये। इसमे:
- एफएसएसआई का लाइसेंस की वैधता बढ़ाएँ – 12 महीने
- चालू वित्तीय वर्ष के लिए अतिरिक्त शुल्क के बिना, 12 महीने के लिए उत्पाद शुल्क और बार लाइसेंस की वैधता बढ़ाएँ।
- बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के मौजूदा होटल लाइसेंस की वैधता को 1 वर्ष बढ़ाएं।
- 12 महीने तक एसटीपी और सहमति के लिए अनिवार्य आवश्यकता के विस्तार के साथ, यूईपीसीपीसी द्वारा 6 महीने तक संचालित करने के लिए पंजीकरण करने के लिए योजना में वृद्धि।
- हाउस टैक्स और सीवेज टैक्स 6 महीने – अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक नहीं वसूला जाये।
- जल कर और विद्युत के लिए कोई न्यूनतम शुल्क नहीं, वास्तविक उपभोग के आधार पर कर लगाया जाए।
हांलाकि राज्य सरकार ने होटल औऱ पर्यटन उद्योग को इस लॉकडाउन से हुए नुकसान से निकालने के लिये हर संभव मदद का आश्वासन दिया है, लेकिन, होटल और पर्यटन उद्योग की वापसी इस बात पर निर्भर करेगी कि कब तक पर्यटकों की वापसी शुरू होती है।