श्री झंडेजी मेले का आगाज देखने के लिए दरबार साहिब में जनसैलाब है। शुक्रवार सुबह श्री झंडेजी को उतारा गया। इसके बाद देश-विदेश पहुंचीं संगतों ने श्री झंडेजी को दही, घी, गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराया। दोपहर 1 बजे तक श्री झंडेजी को सादा गिलाफ चढ़ाया गया। इसके बाद श्री झंडेजी को सनील का गिलाफ चढ़ाया गया।
इस वक्त श्री गुरूराम राय दरबार साहिब के महंत देवेंद्रदास जी महाराज से आशीर्वाद लेने के लिए संगत कतारबद्ध है। आशीर्वाद के बाद श्री झंडे जी को दर्शनी गिलाफ अर्पित किया जाएगा। दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का इस बार मौका परमजीत सिंह को मिला है। उनके पिता ने वर्ष 1991 में गिलाफ चढ़ाने के लिए बुकिंग की थी। परमजीत सिंह सहारनपुर चौक में रहते हैं। वह लकड़ी के कारोबारी हैं।
अपराह्न 3 बजे से शाम 5 बजे तक श्री झंडेजी का आरोहण शुरू होगा। इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने के लिए दरबार साहिब में लाखों लोग एकत्र हैं। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के कई हिस्सों से संगतें यहां पहुंच चुकी हैं।
मेला व्यवस्थापक केसी जुयाल ने कहा है कि श्री झंडेजी आरोहण की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सैकड़ों सेवादार नियुक्त किए गए हैं। श्री झंडेजी के आरोहण के साथ ही एक माह चलने वाले झंडेजी मेला का शुभारंभ हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार खास है श्री झंडेजी का आरोहण। इस बार श्री झंडेजी के ध्वज दंड को बदला जाएगा। श्री दरबार साहिब के वरिष्ठ जन संपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि परंपरानुसार हर तीन साल में श्री झंडेजी के ध्वज दंड को बदला जाता है। यह क्षण अद्भुत होता है। नए झंडेजी का ध्वज दंड 105 फीट ऊंचा होगा, जो अभी तक श्री झंडेजी की सबसे अधिक ऊंचाई होगी।
उधर, श्री झंडेजी मेले में कोरोना वायरस से बचाव के लिए एडवायजरी जारी की गई है। श्री दरबार साहिब में मेला अस्पताल तैयार किया गया है। दो मुख्य द्वारों पर थर्मल स्कैनर लगाए गए हैं। प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की जांच की जा रही है।