बादल फटने पर तकनीक की मदद से रखी जायेगी नज़र

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पहाड़ों में बादल फटने की बढ़ती घटनाओं पर गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अब सीधे नजर रखेंगे। साथ ही शोध के माध्यम से वे बादल फटने के कारणों को भी तलाशेंगे। इस शोध में ऊंचाई वाले किसी क्षेत्र विशेष में बादलों के बनने की प्रक्रिया भी शामिल है। आई.आई.टी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहयोग से गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर आलोक एस. गौतम इस प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू कर रहे हैं। इसके लिए जी.बी. पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी (पौड़ी) परिसर में बादल भौतिकी प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है। प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज के साइंस एंड ह्यूमिनिटी विभाग के साथ सहमति बन चुकी है।

ज्ञातव्य है कि पहाड़ों में बादल फटने की घटनाओं में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। इससे जन-धन की भी बड़ी हानि होती है। इसी को देखते हुए गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग ने आई.आई.टी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के साथ एक साझा प्रोजेक्ट पर शोध अध्ययन कार्य शुरू किया है। भौतिक विज्ञान विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर आलोक गौतम ने बताया कि आई.आई.टी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी के साथ प्रोजेक्ट पर कार्य हो रहा है।

प्रो. त्रिपाठी भौतिकी प्रयोगशाला के लिए संबंधित सभी उपकरण भी उपलब्ध कराएंगे। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आर्थिक सहयोग से यह शोध अध्ययन होगा। प्रो. गौतम ने बताया कि आगामी मई तक इंजीनियरिंग कॉलेज के परिसर में यह लैब स्थापित कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि पहाड़ों में कहीं ज्यादा तो कहीं बहुत कम बारिश होने के कारणों का अध्ययन भी इस प्रोजेक्ट के तहत होगा। पांच साल तक डाटा विश्लेषण के आधार पर संबंधित शोध अध्ययन के वैज्ञानिक परिणाम प्राप्त किए जाएंगे।