भेड़ पालकों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित

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उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड की समीक्षा बैठक में भेड़-पालकों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किये गए जिसमें मुख्यतः राज्य के भेड़ पालक समुदाय के 28 शिक्षित बेराजगार नवयुवकों को प्रशिक्षण मुहैया कराते हुए 15 रुपये प्रति किलों ऊन की दर से ऊन कतरन ग्रेडर/संग्रह कार्य के लिए दिये जाने पर संस्तुति की गयी।
बैठक में महिला कल्याण एवं बाल विकास, पशुपालन भेड़ एवं बकरी पालन मंत्री रेखा आर्य द्वारा राज्य सेक्टर योजना के तहत भेड़-बकरी पालकों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण करवाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत भेड़-बकरी पालकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम कराने के भी निर्देश दिए, जिसके तहत पशुलोक ऋषिकेश एवं भैंसवाड़ा अल्मोड़ा में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
इस योजना के तहत 29 मशीन ऊन करतन शिविर, चिकित्सा शिविर एवं 13 भेड़ प्रदर्शनियों का आयोजन का प्रस्ताव पारित किया गया। मार्च 2017 में 21 चयनित नवयुवकों को केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर राजस्थान से एवं देश की प्रतिष्ठित ऊन मण्डी बीकानेर से प्रशिक्षण प्राप्त कराया जा चुका है।
मंत्री ने कि राज्य के आठ बड़े बाहुल्य जनपदों में भारत सरकार की एकीकृत भेड़-ऊन सुधार योजना के तहत जनपद उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, पिथौड़ागढ, देहरादून पौड़ी एवं बागेश्वर में संचालित की जा रही हैं, जिसमें ढाई लाख भेड़ों को लाभान्वित करने का लक्ष्य प्रस्तावित किया गया है।
मंत्री ने राज्य के भेड़ पालकों के लिए भी बीमा योजना संचालित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने महिला बकरी पालन योजना के तहत राज्य में महिलाओं के हितार्थ परित्यक्ता महिला, विधवा महिला, निराश्रित महिला, दिव्यांग महिला, अकेली रह रही महिलाओं एवं आपदा प्रभावित महिलाओं के लिए योजना संचालित है। उन्होंने यह भी निर्देश दिये हैं कि योजना के क्रियान्वयन के समय इस बात का ध्यान रहे कि कोई महिला अन्य किसी पेंशन का लाभ तो नही ले रही है, ऐसी महिलाएं योजना के लिए पात्र नही है। उन्होंने वर्ष 2017-18 के लिए 30 लाख की धनराशि, 75 ईकाईयों की स्थापना के लिए प्रस्ताव पारि किया गया। बोर्ड बैठक में ऊन की दरों का भी निर्धारण पर भी विचार-विमर्श किया गया है।
बैठक में उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के अन्तर्गत राजकीय भेड़/बकरी प्रजनन प्रक्षेत्रों के सुदृढीकरण एवं आधुनिकरण के प्रस्ताव को प्रस्तावित किया गया। इस दौरान भेड़-बकरी पालकों के चरान-चुगान के परमिट के सम्बन्ध में भी चर्चा की गयी, जिस पर मत्रीं द्वारा वन विभाग द्वारा शासनादेश जारी करने हेतु कार्रवाई की जानी है। इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी से उन्हें अवगत कराते हुए पत्रावली प्रस्तुत कराने के निर्देश दिए।
उत्तराखण्ड पशुधन एवं उत्तराखण्ड पशुधन एवं उत्पाद विपणन निगम लि. बनाये जाने, उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के ढांचे एवं कार्मिक की कमी, भेड़-बकरी पालकों का सहकारिता विभाग के अन्तर्गत पंजीकरण कराने एवं राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (एनसीडीसी) से लाभान्वित किये जाने आदि बिन्दुओं पर चर्चा की गयी तथा उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड की गवर्निंग बाॅडी हेतु 16 सदस्यों में से नौ सदस्यों का चयन करने का प्रस्ताव प्रस्तावित किया गया।
उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में अतिरिक्त कार्मिकों की तैनाती के सम्बन्ध में भी चर्चा की गयी। बैठक में पंतजलि योगपीठ के साथ सहयोग, बकरी स्वयंवर में प्रतिभागिता के सम्बन्ध में विचार-विमर्श, मोबाईल डिपिंग टैंक क्रय करने, राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्रों की भेड़ों के ग्रीष्मकालीन प्रवास/बुग्याल के दौरान कार्मिकों के यात्रा एवं अन्य भत्तों के सम्बन्ध में विचार-विमर्श एवं बकरी प्रदर्शनी के आयोजन के सम्बन्ध में चर्चा की गयी।
मंत्री द्वारा बोर्ड की बैठक प्रत्येक छ माह में अनिवार्य रूप से करने के भी निर्देश दिए, जिसमें पशुपालकों की समस्याओं एवं सुझाव पर भी विचार-विमर्श किया जा सके। बैठक में अपर सचिव वित्त अर्जुन सिंह, निदेशक डाॅ. एस.एस बिष्ट, मुख्य अधिशासी अधिकारी डाॅ. अविनाश आनन्द सहित सम्बन्धित अधिकारी एवं भेड़ पालक उपस्थित रहे।