पर्यटन नगरी ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला-राम झूला अपनी विशेष पहचान रखते है , लेकिन ये दोनों पुल पैदल आने जाने का साधन है। काफी लम्बे समय से क्षेत्र में एक अन्य पुल की मांग की जा रही थी, जिसका शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अपने कार्यकाल में किया था। जिसका नाम जानकी पुल रखा गया लेकिन बजट के अभाव में इस पुल का काम लटका हुआ है लेकिन त्रिवेंद्र सरकार से लोगों को रक बार फिर उम्मीद जगी है।
ऋषिकेश से स्वर्गाश्रम, नीलकंठ महादेव को जोड़ने के लिए जानकी पुल का निर्माण होना है जिसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने किया था, जिससे नीलकंठ कावड़ यात्रा में जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। ऋषिकेश से 35 करोड़ 53लाख की लागत से बनने वाला जानकी पुल पैदल के साथ साथ हल्के वाहनों के लिए भी प्रयोग में आएगा लेकिन अभी तक इस पुल के निर्माण के लिए कार्य बड़ी धीमी गति से चल रहा है और तो और पिछले तीन महीनों से कार्य बंद पड़ा हुआ है जिससे लोगों में नाराजगी है।
जानकी पुल का निर्माण ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट से वेद निकेतन घाट के बीच होना है जिस से स्वर्गाश्रम जाने वाले यात्रियों को लगभग तीन किलो मीटर की दुरी और लगभग पैदल जाने का १ घंटे का समय बचेगा। पिछली सरकार द्वारा भी इस पुल के लिए वादे किये गए थे लेकिम कार्य पूरा नहीं हो सका। ऐसे में बीजेपी सरकार के आने से एक बार फिर लोगों में पुल के प्रति उम्मीद जगी है। वहीँ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी आस्वाशन दिया है कि जल्द से जल्द इस कार्य को किया जायेगा।
पर्यटन के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बना चुके लक्ष्मण झूला – राम झूला के बाद अब जानकी पुल का बेसब्री से इंतज़ार है जिसके बनने से इन दोनों पुलो पर दुपहिया वाहनो और भीड़भाड़ का दबाव कम होगा, और तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भी सहूलियत मिलेगी। अब देखने लायक होगा की बेजीपी सरकार इस थमी योजना को कब तक पूरा कर पाते है।