देवभूमि में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बनती जा रही है गंभीर

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ऋषिकेश,  प्रदेश में पिछले तीन साल में प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से ज्यादा पाया गया है। तीर्थ नगरी में भी पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी गम्भीर समस्या के रूप में उभरी है। जिस कारण लोग गंभीर बीमारियों के चपेट में आ रह हैं और दिन-प्रतिदिन समस्याएं बढ़ती जा रही है।

गाड़ियों का धुआं जहां आबोहवा में जहर घोल रहा है, वहीं गंगा और उसकी सहायक नदियों व खड्डों में भी हर दिन टनों के हिसाब से गंदगी फेंकी जा रही है। इससे प्रदेश के वातावरण और जल में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। प्रदेश में प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से ज्यादा पाया गया है, जो पहाड़ के लोगों के लिए खतरे की घंटी है। चिंता इसलिए जरूरी है कि अगर समय रहते कदम न उठाए गए तो स्थिति नियंत्रण से बाहर भी हो सकती है।

निर्मल आश्रम अस्पताल के प्रशासक सरदार ब्रिकमजीत सिंह के अनुसार, “प्रदूषण के कारण ही प्रदेश में सांस, दमा और हृदय रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। अस्पताल की ओपीडी में इन रोगों से पीड़ित लोगों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जीवन को बेहतर बनाने की भीड़ में हर कोई आसान राह पर चलना अच्छा समझता है। पैदल चलना कोई नहीं चाहता, बल्कि थोड़ी दूर जाने के लिए भी वाहन का प्रयोग करते हैं जोकि वाहनों पर निर्भरता का कारण है और इसी वजह से प्रदूषण की समस्या भी लगातार बड़ रही है। नतीजन विभिन्न बीमारियों की चपेट में लोग आ रहे हैं।”