चीन के करीब पुहंचा भारत

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पिथौरागढ़ जिले का सीमांत गांव दुक्तू। शीतकाल के चार महीने बर्फ से लकदक रहने वाले इस गांव के लोग ठंड शुरू होते ही परिवार, राशन और मवेशियों को लेकर 78 किमी नीचे धारचूला घाटी आ जाते हैं। गर्मियां शुरू होते फिर शुरू होता है इनका माइग्रेशन। ये वापस आकर गांव को फिर गुलजार कर देते हैं, लेकिन भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के जवान दुक्तू गांव के अपने कैंपों में ही डटे रहते हैं।

ग्रामीण हों या जवान उन्हें अभी पखवाड़ा भर पहले तक यहां पहुंचने के लिए सोबला से पहाड़ की पगडंडियों पर 46 किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती थी, लेकिन अब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे इस गांव तक सड़क पहुंच गई है। यह गांव चीन की ज्ञानिमा मंडी के करीब है।

न्यू सोबला-दारमा मार्ग का निर्माण कठिन चुनौती रही है पर भारतीय इंजीनियरों के हौसले ने देश को सामरिक दृष्टि से बड़ी कामयाबी दिला दी है। यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि तिब्बती मंडी ताकलाकोट के बाद चीन ने अपना दूसरा बड़ा सामरिक ठिकाना ज्ञानिमा मंडी के पास बना रखा है।

न्यूजपोस्ट टीम जब दुक्तू गांव पहुंची तो ग्रामीण खुशी से झूम उठे। वजह बड़ी दिलचस्प है। ग्रामीणों के अपने नाते-रिश्तेदारों के अलावा अभी तक यहां आइटीबीपी व सेना के जवान ही पहुंचते देखे हैं। शायद बाहरी दुनियां(इनके क्षेत्र के बाहर के लोग) से पहली बार कोई पहुंचा। इसकी झलक बातचीत में क्षेत्र पंचायत सदस्य मनोज नगन्याल के उत्साह ने भी दे दिया। वे बोल पड़े। यहां सड़क पहुंची तो देश की खुशबू भी पहुंचेगी इसका आभास हो गया। आज आप लोग आए हैं तो कल पर्यटक भी आएंगे। जवानों को साजो सामान कंधों पर ढोकर पैदल नहीं आना पड़ेगा। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग से पहले इस मार्ग का निर्माण हो जाने से भारत की चीन सीमा तक दोतरफा पहुंच हो गई है।

इस क्षेत्र का अंतिम गांव है बिदांग। अब जनशून्य हो गया है। आबादी इससे पहले के गांव दांतू, तिदांग, मार्चा और सीपू में रहती है। यहां तक रोड कटिंग में भारतीय इंजीनियरों की मेहनत देखने लायक है। दावा है कि 20 से 25 दिनों में वाहन जाने लायक कच्ची सड़क बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगी। कम चुनौतियां नहीं थीं यहां तक पहुंचने में।

इस सड़क का निर्माण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अधीन है, जिसने 2013 की आपदा की कठिन चुनौती के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। 2005 में दारमा घाटी के रास्ते चीन सीमा तक सड़क का सपना देखा गया था। 2011 में काम शुरू हुआ। 2013 की आपदा में दो वर्ष तक काम बंद करना पड़ा। फिर 2015 के अंतिम तीन महीने से निर्माण कार्य ने गति पकड़ी।

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता सिराज अहमद के मुताबिक अभी सीमांत गांव दुक्तू स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के कैंप तक कच्ची सड़क पूरी हो गई है।  फेज एक में सड़क कटिंग का कार्य जल्द पूरा हो जाएगा। 2018 तक इस सड़क पर बड़े वाहनों की आवाजाही हो सकेगी, लेकिन पक्की सड़क तैयार होने में अभी और वक्त लग सकता है।