डायबिटीज पर रोक न लगी तो चीन से आगे निकल जाएगा भारत

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    एम्स

    ऋषिकेश। एम्स, ऋषिकेश में डायबिटीज एवं हृदय रोग पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी का समापन सोमवार को किया गया। संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण देश-विदेश से आए जूनियर डॉक्टरों की ट्रेनिंग रही। कार्यक्रम के अध्यक्ष व मेडिसिन विभाग के आचार्य डॉ. रविकांत ने इस अवसर पर बताया कि भारत में डायबिटीज की दर लगभग आठ प्रतिशत है। जिस दर से डायबिटीज बढ़ रही है, उससे लगता है कि कुछ ही साल में हम चीन से आगे निकल कर दुनिया में पहले स्थान पर होंगे। मौजूदा समय में डायबिटीज एवं हृदय रोगों की पर्याप्त सुविधा पहाड़ के मरीजों को समय पर नहीं मिल पाती। इन जटिल परिस्थितियों से निपटने के लिए उत्तराखंड जैसे राज्य को विशेष तैयारियों की आवश्यकता है।

    एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने राज्य की स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण के लिए ई-हेल्थ को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया हा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड जैसे राज्य जहां भौगोलिक परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। अतः राज्य की पीएचसी एवं सीइचसी को एम्स जैसे संस्थान से टेलीकांफ्रेंसिंग द्वारा जोड़ा जा सकता है, जिससे मरीजों को पहाड़ पर भी समय रहते उच्च स्तर का स्वास्थ्य परामर्श और चिकित्सा मुहैया कराई जा सकती है। डॉ. मीनाक्षी धर ने बढ़ती उम्र में डायबिटीज एवं हृदय रोग विषय पर अपने अनुभव साझा किए। डीन प्रो. सुरेखा किशोर ने डायबिटीज एवं हृदय रोग का जो आंकड़ा प्रस्तुत किया, उससे पता चलता है कि डायबिटीस एवं हृदय रोग भारत में तेजी पांव पसार रहा है, इससे इंसान की जान को खतरा पैदा हो रहा है। अतः समय रहते हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव करना आवश्यक है।

    कॉन्फ्रेंस के सचिव एवं एम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बरुन कुमार के अनुसार, अधिकतम हृदयाघात मधुमेह के कारण होते हैं और समय पर उपचार न मिलने से इनमें मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। विकासशील देशों में इन बीमारियों से लड़ने की उच्च सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। इसके लिए देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से आए स्नातकोत्तर (एमडीएमएस) छात्रों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में इलाज की विभिन्न तकनीकों को सिखाया गया।

    संगोष्ठी में अमेरिका से आई डॉ. दिव्या दिक्सिष्ट, नेपाल से आये डॉ. रोबिन किसकी , एम्स दिल्ली के डॉ. ऐबी डे, पीजीआई चंडीगढ़ के पूर्व डायरेक्टर डॉ. योगेश चावला, कोलकाता के डॉ. ज्योतिर्मय पाल तथा अन्य देश भर से आए चिकित्सकओं ने भाग लिया।