भारतीय सेना से कम किये जायेंगे एक लाख सैनिक

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​सैन्य बलों के प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने संसद की स्टैंडिंग कमेटी को​​ ​आने वाले समय में सेना से करीब एक लाख सैनिकों को कम किये जाने की योजना पेश की है​​ ​जनरल रावत ने कहा कि इससे ​वेतन के रूप में बचने ​वाले पैसे का इस्तेमाल ​सेना में ​तकनीक को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। सरकार ने भी सेना को इस रकम ​का तकनीक में इस्तेमाल ​करने ​का आश्वासन दिया है। ​​स्टैंडिंग कमेटी की ​यह ​रिपोर्ट पिछले महीने संसद में पेश की गई​ है
– सीडीएस बिपिन रावत ने संसद की स्टैंडिंग कमेटी को दी जानकारी 
– बचने वाले पैसे का होगा सेना में तकनीक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल 
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने ​​संसद की ​​स्टैंडिंग कमेटी को बताया​ है कि ​इस समय भारतीय सेना ​में ढांचागत बदलाव की प्रक्रिया चल रही है। दिल्ली स्थित ​सेना मुख्यालय में तैनात अधिकारियों को ​भी वहां से हटाकर फील्ड में भेजने की योजना है। स्टैंडिंग कमेटी को सेना के ​’​टूथ टू नेल​’​ रेशियो के बारे में भी बताया गया। सैन्य कार्रवाइयों में भाग लेने वाले और उनके लिए रसद आदि पहुंचाने वाले सैनिकों के बीच के अनुपात को ​सेना में ‘​टूथ टू टेल रेशियो​’ कहा जाता है।​ उन्होंने ​स्टैंडिंग कमेटी को बताया​ है कि सितम्बर, 2000 तक सेना प्रमुख रहे जनरल ​​वीपी मलिक ​ने अपने कार्यकाल में 50 हजार सैनिक कम करने ​​की ​योजना तैयार की थी। ​अब ​हमारी योजना अगले तीन से चार साल में करीब एक लाख सैनिक कम कर​के इससे ​बचने वाले पैसे का इस्तेमाल तकनीक को बढ़ावा देने ​की है
​सीडीएस रावत का मानना है कि अगर सीधी सैन्य कार्रवाई ज्यादा सैनिक शामिल होंगे तो असल सैन्य कार्रवाइयों के लिए जरूरी सैनिकों की संख्या घटती जाएगी। इसलिए अगर सैन्य कार्रवाइयों के लिए जरूरी सैनिकों की संख्या ज्यादा रखनी है तो नीचे की संख्या को कम करना जरूरी है। टूथ टू टेल अनुपात को कम करने की प्रक्रिया के बारे में सीडीएस ने स्टैंडिंग कमेटी के सामने कहा है कि अभी भारतीय सेना में करीब 14 लाख सैनिक हैं। सैनिकों को कम करने की यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है जिससे अगले 3-4 साल में करीब एक लाख सैनिक कम हो जायेंगे। यह सब तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल पर जोर देने के लिए किया जा रहा है।
दरअसल, सीमा की रखवाली करने वाले पैदल सैनिकों को ज्यादा सक्षम बनाने के लिए आधुनिक सर्विलांस सिस्टम देने की प्राथमिकता है। इसीलिए सेना के पुनर्गठन हिस्से के रूप में हम अपने सैन्य संचालन के लिए आईबीजी (इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप) ढांचे का गठन कर रहे हैं। यह छोटी-छोटी युद्ध टुकड़ियां होंगी, जिनमें युद्ध करने की क्षमता होगी लेकिन इसे कम करने के लिए हम उसे आउटसोर्स कर देंगे। सीडीएस ने स्टैंडिंग कमेटी को साफ कहा कि हमारा ज्यादा फोकस आउटसोर्सिंग पर है। इसलिए अब भारतीय सेना में इस्तेमाल की जा रही गाड़ी की रिपेयरिंग सेना की वर्कशॉप की बजाय कंपनी की वर्कशॉप से कराई जाएगी।