नई दिल्ली, बालिका- महिला सशक्तिकरण के लिए उठाए एक अनूठे प्रयास में भारत स्थित ब्रिट्रिश उच्चायोग ने एमिटी विश्वविद्यालय की छात्रा ईशा बहल को 24 घंटे के लिए भारत में मानद ब्रिटिश उच्चायुक्त बनाया। यह दुनिया भर के देशों में 11 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के मनाए जाने के उत्सव का हिस्सा है।
इसके लिए ब्रिटिश उच्चायोग ने 18 से 23 वर्ष की आयु के महिलाओं के लिए एक दिन के लिए भारत के ब्रिटिश उच्चायुक्त बनने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की थी। प्रतियोगियों ने “लिंग समानता का मतलब क्या है?” विषय पर एक लघु वीडियो प्रस्तुति प्रस्तुत दी थी। दिल्ली से हैदराबाद तक देश भर में 58 छात्रों / महिलाओं ने भाग लिया, जिसमें नोएडा के एमिटी विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की छात्रा एशा बहल ने सफलता पाई। सार्वजनिक नीति और कानून में उच्चतर अध्ययन पूरा करने के बाद एशा एक सामाजिक उद्यमी बनने की योजना बना रही है।
इस मौके पर एक दिन के लिए मानद ब्रिटिश उच्चायुक्त ईशा बहल ने कहा कि, “एक दिन के लिए ब्रिटिश उच्चायुक्त के रूप में कार्य करना एक महान और वास्तव में अद्वितीय अनुभव रहा है। मैंने यूके-भारत संबंधों की चौड़ाई और गहराई के बारे में सीखा है। लिंग समानता और समावेशिता के महत्व को उजागर करने का अवसर था, जो मुद्दे मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। “
ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्थेक्विक ने कहा कि, “मुझे खुशी है कि हम इस प्रतियोगिता को चलाने में सक्षम रहे और युवा भारतीय महिलाओं को अपने अधिकारों पर चर्चा करने के लिए मंच प्रदान करने में सफल रहे। मैं उन्हें उत्कृष्ट वीडियो बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देता हूं। एशा बहल प्रभावशाली है। वह लड़कियों के अधिकारों के लिए स्पष्ट रूप से प्रतिबद्ध है और उसका वीडियो अद्भुत है। मैं उसे उनकी इस सफलता पर बधाई देना चाहता हूं और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। लिंग समानता यूके का बहुत महत्व का मुद्दा है। 11 अक्टूबर इस मुद्दे से निपटने के लिए किए जाने वाले कार्यों पर प्रतिबिंबित करने और दुनिया भर में हुई प्रगति का जश्न मनाने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।”