भारत-नेपाल के बीच सुरक्षा एवं रक्षा संबंधी मामलों पर आज दो दिवसीय संगोष्ठी का समारोहपूर्वक शुभारंभ हुअा। भारतीय वन अनुसंधान केन्द्र के सभागार में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद और भारत नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान, नेपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस गोष्ठी का उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और भारत के पूर्व विदेश सचिव शशांक तथा नेपाल के पूर्व विदेश सचिव मधु रमण आचार्य ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर शुभारंभ किया।
मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री उत्तराखंड त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि हमें यह बिल्कुल नहीं लगता कि नेपाल दूसरा राष्ट्र है। उत्तराखंड से तो इसका एक विशेष रिश्ता है। ऐसा रिश्ता जो बहुत नजदीकी है। उन्होंने कहा कि यहां की बेटी नेपाल में और नेपाल की बेटियां यहां ब्याही जाती हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल सांस्कृतिक रूप से भी हमसे प्रगाढ रिश्ता रखता है। संस्कृति के यही रिश्ते इतने गहरे हैं कि दीर्घ काल तक यह बने रहेंगे।
श्री रावत ने कहा कि सुरक्षा और रक्षा के मामले में भी हमारे रिश्ते बहुत मजबूत हैं। लेकिन हम दोनों के बीच तीसरे लोग विध्न डालने की कोशिश करते हैं। उन्होंने चीन का नाम बिना लिए कहा कि यह तीसरे लोग लगातार हमें तोड़ने की कोशशि करते हैं। मगर वह इसमें कभी सफल नहीं हो सकते, क्योंकि हमारे रिश्ते बहुत मजबूत हैं।
रावत ने उम्मीद जताई कि इस संगोष्ठी के माध्यम से आम जन मानस तक हमें अपनी बात पहुंचानी होगी तभी इस गोष्ठी के दूरगामी परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि चाहे उत्तराखंड हो या नेपाल दोनों व्यावसायिक और सुरक्षा की दृष्टि से बलिदान और समर्पण की भावना लिए हुए हैं दोनों के बीच का जो विश्वास है उस पर पूरी दुनिया भी विश्वास करती है। इसीलिए दोनों देशों के बीच एकता का वैश्विक स्तर के लिए भी बहुत आवश्यक है।