कांग्रेस की एकता गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान कसौटी पर होगी। नेता प्रतिपक्ष डाॅ. इंदिरा ह्दयेश के साथ हरीश रावत समर्थक विधायक कितना कंधे से कंधा मिलाकर चल पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी। प्रदेश कार्यकारिणी के सामने आने के बाद जिस तरह से दोनों गुटों के बीच दरार और चौड़ी हुई है, उससे कांग्रेस के रणनीतिकारों के चेहरे पर चिंता साफ देखी जा रही है।
विधानसभा सत्र के दौरान कई बार कांग्रेस की गुटबाजी के सभी को आसानी से दर्शन हुए है। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष पद पर डाॅॅ. इंदिरा ह्दयेश की ताजपोशी के बाद हरीश रावत समर्थक विधायकों ने कई बार अपनी अलग राह पकड़कर सदन में प्रभाव छोड़ा है। कई बार नेता प्रतिपक्ष को इस वजह से अलग थलग भी रहना पड़ा है, हालांकि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने एक विधायक बतौर उनका पूरा साथ दिया है, लेकिन उपनेता करण माहरा, पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल, हरीश धामी, मनोज रावत जैसे हरीश रावत समर्थक विधायकों की अलग एकता किसी से छिपी नहीं रही है।
-हरीश धामी के प्रकरण के बाद और बढ़ गई है कांग्रेस में गुटबाजी
-इंदिरा और हरीश रावत समर्थक विधायकों में तालमेल बड़ी चुनौती
इस बार प्रदेश कार्यकारिणी में विधायक हरीश धामी को सचिव बना दिए जाने के बाद दोनों गुटों के बीच की लड़़ाई चरम पर पहुंच गई है। तीन बार के विधायक धामी को महासचिव या फिर विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया जाना था, लेकिन जब सूची जारी हुई, तो उन्हें उसमें सचिव दर्शाया गया था। इस पर धामी ने पद से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी छोड़ने की भी बात कही थी। प्रदेश अध्यक्ष पर तो उन्होंने नरम रूख अख्तियार किया था, लेकिन नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा ह्दयेश पर वह खुलकर हमलावर हो गए थे। कहने को हल्द्वानी रैली में हाल ही में सभी नेताओं ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की है, लेकिन हकीकत में एक दूसरे की टांग खिंचाई के लिए नेता उचित अवसर की तलाश कर रहे हैं।
तल्खी भरे माहौल में गैरसैंण सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक कैसे त्रिवेंद्र सरकार के लिए मुश्किल पैदा कर पाएंगे, ये देखने वाली बात होगी। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा सरकार में सीएम बदलने की चर्चाओं के बीच यह अच्छा मौका है, जब सरकार को घेरा जा सकता है। आबकारी से लेकर कानून व्यवस्था, खेती किसानी और तमाम मुद्दे विपक्ष के पास है, लेकिन इसके लिए एकजुटता दिखाए बगैर काम नहीं चलेगा। कांग्रेस के महासचिव विजय सारस्वत के अनुसार, सदन में कांग्रेस एकजुटता दिखाएगी और सरकार को जमकर घेरेगी।