काशीपुर में आयोजित कांग्रेस की रैली से पहले सीएम हरीश रावत को गुटबाजी का सामना करना पड़ा। मंच पर लगे बैनरों में नाम न होने से यशपाल आर्य नाराज हो गए। ऐसे में सीएम को उन्हें मनाने होटल तक जाना पड़ा। रैली के लिए मंच पर लगाए गए बैनर में राजस्व मंत्री यशपाल आर्य और राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन संजीव आर्य का फोटो व नाम नहीं है। इसकी सूचना जब यशपाल आर्य को लगी तो वह रैली में शामिल होने के बजाय बाजपुर हाईवे स्थित एक होटल में रुक गए। रैली के लिए मुख्यमंत्री दोपहर दो बजे काशीपुर पहुंचे। जब उन्हें यशपाल आर्य की नाराजगी का पता चला तो वह यशपाल आर्य को मनाने कार से होटल गए। इस दौरान आर्य ने कुछ लोगों पर अपमान करने का आरोप लगाया। सीएम ने काफी मशक्कत के बाद आर्य को मनाया।
सतत विकास संकल्प यात्रा में बोते हुए मुख्यमंत्री हरीष रावत ने जनता से कई वायदे किये । उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार विकास की पर्याय है। उन्होंने कहा कि जनता से किये गये वादों में अधिकांष धरातल पर नजर आ रहे । उन्होंने कहा कि 2020 तक प्रदेष का आमूल चूल विकास करते हुये गरीबी व पिछडेपन को दूर कर दिया जायेगा। रावत ने कहा कि प्रदेष में औद्योगिक विकास का ऐसा वातावरण तैयार किया जा रहा है जिसके अन्तर्गत 50 हजार युवाओं को स्टार्टअप से जोडा जायेगा जिससे वह नौकरी मांगने वाले नही वल्कि देने वाले बनेगें। श्री रावत ने कहा कि प्रदेष की तस्वीर बदलने के लिये महिला सषक्तिकरण हेतु अनेको कल्याणकारी कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री हरीष रावत,वित्त मंत्री इन्दिरा हृदयेष,राजस्व मंत्री यषपाल आर्य,श्रम मंत्री हरीष चन्द्र दुर्गापाल द्वारा ’’उत्तराखण्ड की चाहत हरीष रावत’’ पुस्तक का विमोचान किया गया।
समारोह को कैबिनेट मंत्री मंत्री इन्दिरा हृदेयष,यषपाल आर्य,हरीष चन्द्र दुर्गापाल,प्रदेष अध्यक्ष किषोर उपाध्याय, सह प्रभारी संजय कपूर, विधायक सरिता आर्य,पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड,पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा व महेन्द्र सिंह पाल, द्वारा भी सम्बोधित किया गया। प३देश में चुनावी दस्तक आरही है और ऐसे में अगर कांग्रेस राज्य में दोबारा अपनी सरकार बनाना चाहती है तो उसके लिये ये बहुत ज़रूरी है कि वो तेज़ी से बढ़ती अंतर्कलह को काबू करे। हरीश रावत वैसे तो राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं लेकिन जिस तरह प्रदेश में सरकार और संगठन दोनो ही जगहों पर उनके खिलाफ विरेध के स्वर उठ रहे हैं उसे देखते हुए ये तो तय है कि आने वाले चुनावों में रावत को न केवल विपक्ष को हराना पड़ेगा बल्कि अपने कुनबे को भी साथ रखना होगा जो फिलहाल चुनौतीपूर्ण लग रहा है।