देहरादून, जहां भाजपा मिशन 2019 के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, वहीं कांग्रेस में दिग्गजों की खींचतान उसकी मुश्किलें बढ़ा रही हैं। हालांकि, केंद्र ने पांच समितियां बनाकर इस खींचतान को कम करने का प्रयास किया है और इसका पूरा जिम्मा प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह के पास रहेगा पर कांग्रेस की अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है।
कांग्रेस आला कमान ने व्यवस्था बनाने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश को हर समिति में रखा है। उक्त सभी समितियों में विधायकों, पूर्व विधायकों, राज्यसभा सदस्य व पूर्व सांसदों को स्थान दिया गया है। उसके बावजूद कांग्रेस के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को सुधारना है।
पिछले कुछ दिनों पहले पीसीसी उत्तराखंड की सलाह पर हाईकमान की ओर से जितनी भी नियुक्तियां की गई हैं, उनमें काफी विवाद रहा है। इस वाद-विवाद के चलते पार्टी को खासी किरकिरी भी झेलनी पड़ी थी। प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह की हिदायत के बावजूद नेताओं की आपसी बयानबाजी पर रोक नहीं लग सकी। जिसके कारण कांग्रेस आला कमान ने चुनाव समिति की राय पर प्रदेश चुनाव समिति, समन्वय समिति, प्रचार समिति, मीडिया समन्वय समिति और चुनाव अभियान समिति का गठन कर दिया। जिसमें प्रदेश प्रभारी के साथ प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश व सह प्रभारी राजेश धर्माणी भी शामिल किया गया है। इन समितियों में जिन्हें जोड़ा गया है, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ ही राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा, विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, करन मेहरा, फुरकान अहमद, ममता राकेश, पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा व महेंद्रपाल सिंह, पूर्व विधायक जीतराम, ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी व संजय डोभाल के नाम शामिल है। इसके बाद भी पार्टी की अंतर्कलह नहीं मिट रही है और लगातार एक दूसरे के खिलाफ बयान देना प्रारंभ है।
हरिद्वार और नैनीताल संसदीय सीटों पर जिस ढंग से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने ताल ठोंकी है और एक दूसरे को पटकनी देने का प्रयास प्रारंभ कर दिया है, वह इसी बात का संकेत देता है। हरिद्वार तथा नैनीताल से जहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रकारान्तर में अपना प्रचार प्रारंभ कर दिया था, वहीं इन सीटों पर डा. इंदिरा हृदयेश तथा अन्य वरिष्ठ नेातओं ने ताल ठोंक दी है। इसके कारण कांग्रेस की अंतर्कलह को और पलीता लगता दिख रहा है।
इस संदर्भ में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मुख्य प्रवक्ता एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र कुमार का कहना है कि कांग्रेस में कोई अंतर्कलह नहीं है। पार्टी में लोकतांत्रिक परंपरा है और सबको अपने-अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। ऐसे में वरिष्ठ नेताओं के बयानों को अंतर्कलह के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।