उत्तरकाशी, हर दिन की तरह 25 जनवरी भी बलबीर रावत के लिए एक साधारण दिन ही था।लेकिन इस दिन ने बलबीर की जिंदगी बदल दी। बीते 25 जनवरी को उत्तरकाशी के सौर गांव के हिमालयन होमस्टे में आग लगी और उस आग में बलबीर और उनके परिवार की सभी यादें जलकर राख हो गई।
25 जनवरी शुक्रवार का दिन था, कुछ लोग मुंबई शहर से सौर गांव में ट्रेकिंग के लिए आए थे और बलबीर के हिमालयम होमस्टे में रुके हुए थे।आग का कारण इस टूरिस्टों की लापरवाही बनी और उनकी इस गलती की सज़ा बलबीर को पूरी जिंदगी मिलेगी।
काफी मशक्कत के बाद हमने बलबीर रावत से जब इस बारे में बात की तब उन्होंने बताया कि, “इस बात को 17 दिन हो गए है और मैं अब तक इस सदमे में हूं कि आगे क्या करना है? हमारे यहां 9 टूरिस्ट मुंबई महाराष्ट्र से ट्रैकिंग के लिए आए थे। 25 जनवरी को आग एक मोमबत्ती से फैल गई और पूरा घर और होमस्टे जलकर राख हो गया।उन्होंने कहा, “अभी किसी सरकारी एजेंसी या किसी ने हमसे कोई बात नहीं की है,जबकि लोकल लोग हमारी मदद के लिए आगे आऐं हैं।” आपको बतादें कि, “अब तक बलबीर रावत को लगभग डेढ़ लाख की मदद मिली है जो कि उनके नुकसान के आगे एक छोटी सी मदद है।”
बलबीर रावत होमस्टे के अलावा आर्गेनिक फार्मिंग करते थे।ट्रेकिंग,होमस्टे के साथ-साथ हिमलाय पर आर्गेनिक खेती से बलबीर ने बहुत नाम कमाया है न केवल भारत में बलबीर,जर्मनी, फ्रांस,इटली और अलग-अलग देशों में जाकर आर्गेनिक फार्मिंग पर वर्कशॉप कर चुके हैं। फिल्म स्टार जैकी श्रॉफ से भी बलबीर की मुलाकात हो चुकी है, इन सभी कामों के डाक्यूमेंट भी इस आग में जलकर राख हो गए।बलबीर के लिए यह समय आसान नहीं है।
इस बारे में बात करते हुए बलबीर की बेटी पूनम रावत बताती हैं कि, “तीन मंजिल का हमारा मकान किसी टूरिस्ट की लापरवाही से जलकर राख हो गया।मेरे पापा के सभी डॉक्यूमेंट,लोगों के रिव्यू,हमारे कपड़े जूते सबकुछ जलकर राख हो गया।आग इतनी विकराल थी कि सबकुछ राख करके गई।” पूनम कहती हैं कि, “इस आग का जिम्मेदार कौन है, होमस्टे और ट्रेकिंग से हमारा जीवनयापन हो रहा था और आज से नहीं बल्कि काफी सालों से हमारे यहां अलग-अलग जगहों से टूरिस्ट आते रहे हैं।किसी टूरिस्ट की लापरवाही ने आज हमे बेघर कर दिया और साथ ही मेरे पिता जी की सारी मेहनत को राख में तब्दील कर दिया।”
वहीं बलबीर रावत के साथ पिछले 5-6 साल से काम करने वाले हिमांशु गर्ग हमें बताते हैं कि, “आग लगने का कारण एक मोमबत्ती थी।टूरिस्ट अपने कमरे में जलती हुई मोमबत्ती छोड़ खाना खाने चले गए, जिसके बाद गर्म बिस्तर और कंबल से आग लगी और फैल गई।घर में आग लगते ही किचन में पड़े दो गैस सिलेंडर फट गए जिसके बाद आग पर काबू पाना नामुमकिन था। हिमांशु ने कहा कि, “पहाड़ों में ज्यादातर लकड़ी के बने होते हैं और यह होमस्टे भी लकड़ी का था।”
जहां एक तरफ सरकार होमस्टे को बढ़ावा दे रही और दिन पर दिन नई योजनाएं बना रही वहीं इस तरह की लापरवाही पर सरकार मौन है। सरकार की कोशिश है कि राज्य के मानव संसाधन का उपयोग राज्य के विकास में किया जा सके तथा युवाओं को कौशल विकास के जरिये स्वावलंबी बनाया जा सके।
सरकार विलेज टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है। वर्ष 2020 तक प्रदेश में पांच हजार होम स्टे शुरु कर दिए जाएंगे, लेकिन क्या होमस्टे शुरु करना ही सरकार की जिम्मेदारी है? होमस्टे को होने वाले नुकसान जिसकी वजह टूरिस्ट है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
यह बात केवल बलबीर के लिए नहीं है बल्कि बलबीर जैसे उन हजारों लोगों के लिए जिनका अस्तित्व किसी लापरवाही का शिकार हो जाते हैं और सरकार हाथ पर हाथ धरे देखते रहती है।