नई दिल्ली, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आर्थिक सर्वे पेश किया। साल 2018-19 के लिए पेश किए गए इस आर्थिक सर्वे में जीडीपी की वास्तविक विकास दर का अनुमान 6.75 फीसदी लगाया गया है। वहीं आर्थिक सर्वे में साल 18-19 में विकास दर 7 से 7.5 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया है। इस बार के आर्थिक सर्वे में रोजगार, शिक्षा और कृषि पर ध्यान दिए जाने की बात की गई है।
संसद में रखे गए आर्थिक सर्वे में इस बार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के एक जुलाई,2017 से लागू होने, वित्तीय संकट से गुजर रही कंपनियों पर नए इंडियन बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत कार्रवाई करने, सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए पुर्नवित्तीयकरण पैकेज लाने, एफडीआई को लेकर प्रतिबंधों में ढील देने और निर्यात के बढ़ने को रेखांकित किया गया है।
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में किए जा रहे सुधारवादी प्रयासों के चलते पिछले तीन साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वैश्विक विकास दर के औसत से 4 फीसदी ज्यादा रही है। वहीं दुनिया की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की विकास औसत से 3 फीसदी ज्यादा रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर साल 2014-15 से 2017-18 के बीच लगातार 7.3 फीसदी के औसत पर रही है, जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। ये सफलता बढ़ती महंगाई पर काबू रखने, चालू खाते की वित्तीय स्थिति को बेहतर करने और राजकोषीय घाटे में ऐतिहासिक कमी करने के चलते मिली है।
आर्थिक सर्वे हर साल आम बजट के पहले संसद में पेश किया जाता है। आर्थिक सर्वे दरअसल पिछले पूरे वित्तीय वर्ष में सरकार के कामकाज का वित्तीय लेखा-जोखा पेश करता है। जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था का सालभर प्रदर्शन कैसा रहा, सरकार की कौन-कौन सी योजनाओं/परियोजनाओं की स्थिति क्या रही और सरकार ने पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान क्या-क्या नए प्रयास किए। आर्थिक सर्वे भारत सरकार के वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग तैयार करता है।