परमार्थ निकेतन में हुई जीवन सम्मेलन की शुरुआत

0
668

ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में आयोजित जीवन सम्मेलन में विश्व के 21 देशों के युवा प्रतिनिधियों ने सहभाग किया। शुक्रवार को आयोजित जीवन सम्मेलन में टी गल्फ संस्था के संस्थापक शिव खेमका, उर्वशी खेमका और देश के जाने माने उद्योगपति उनके सेवा भावी बच्चे यहां परमार्थ निकेतन गंगा के तट पर उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में विश्व के जानी-मानी कम्पनियों में काम करने वाले प्रतिष्ठत पदों पर सुशोभित होने वाले युवा उपस्थित रहे, जो जीवन को वास्तविक मूल्यों के साथ जीने की कला सीखने के लिए भारत आए हुए हैं।

जीवन सम्मेलन में डीआरडीओं के वैज्ञानिक भी शामिल हैं, जो जीवन को और अधिक मूल्यपरक बनाने के लिए शोध कर रहे हैं, वे अपने विचार साझा करेंगे तथा तीन दिनों तक इस सम्मेलन में देश और विदेश ही प्रसिद्ध हस्तियां युवाओं को संबोधित करेंगी। विभिन्न देशों के युवा प्रतिनिधि, परमार्थ गुररुकुल के ऋषिकुमार, स्वामी जी महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती , शिव खेमका, उर्वशी खेमका, डीआरडीओ के वैज्ञानिक एवं अन्य जीवन मूल्यों को जानने वाले विशेषज्ञों ने स्वच्छता रैली में सहभाग किया। सभी ने हाथों में स्वच्छता के झण्डे लेकर स्वच्छता नारे लगाते हुये मां गंगा के तट पर पंहुचे। वहां पर सभी ने मां गंगा की तरह निर्मल, शांत और सरल जीवन जीने की प्रार्थना की, जिस प्रकार गंगा सब के लिये बहती है, सदा के लिये बहती है और सदैव बहती है इस प्रकार जीवन जीने का का रहस्य जानने की प्रार्थना सभी ने की और गंगा घाट पर बने विशाल मंच से जीवन सम्मेलन का आगाज हुआ।

शनिवार सांयकाल की बेला में इस सम्मेलन में उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पधारेंगे जो 21 देशों से आये युवाओं को जीवन मूल्यों के साथ गंगा, हिमालय और उत्तराखण्ड की संस्कृति का महत्वपूर्ण संदेश देंगे।

समारोह के पहले दिन स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि अगर नदी में पानी न हो तो नदी किस काम की, ऐसे जीवन में संस्कार न हो; संस्कृति न हो; मुल्य न हो तो किस काम का। उन्होनेे कहा कि बोलो जीवन कैसा है जैसा बना लो वैसा है, चाहे इसको स्वर्ग बना लो, चाहे इसको नर्क बना लो, बोलो जीवन कैसा है जैसा बना लो वैसा है। स्वामी जी ने जीवन में सेवा, समर्पण और सबको महत्व देने का संदेश दिया। साध्वी भगवती सरस्वती ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब 22 वर्ष पूर्व मैं भारत आयी उसके पश्चात भारत की संस्कृति, संस्कारों को पाकर मैं भारत की ही होकर रह गयी। मेरे जीवन का अन्तिम डेस्टीनेशन ऋषिकेश उत्तराखण्ड बन गया। भारत की धरती में भारत की माटी में वह ताकत है जो अपनी ओर आकर्षित करती है। साध्वी ने कहा कि जब तक आप सभी भारत की धरती पर माँ गंगा के तट पर है तब तक आप इस माटी के जादू को आत्मसात करे, यहां की हवाओं में, यहां के जल में जो आकर्षण है जो अध्यात्म है उसे जीवन में सहज ही उतरने दे। यहां रहकर जागे और उस अनुरूप जीने का प्रयास करे। जीवन सम्मेलन में आये 200 से अधिक युवाओं ने यहां आकर जाना की जीवन क्या है किस प्रकार जिया जाता है।