नई दिल्ली, अस्थायी तौर पर परिचालन बंद कर चुकी जेट एयरवेज एयरलाइन एक बार फिर उड़ान भरने की तैयारी में है। यदि इसका रिवाइवल होता है तो कर्मचारियों की जिंदगी एक बार फिर से पटरी पर लौट सकती है। दरअसल जेट एयरवेज कर्मचारियों के संघ और आदि ग्रुप 17 अप्रैल से बंद पड़ी एयरलाइंस की 75 फीसदी हिस्सेदारी की बोली लगाने के लिए साझेदारी की घोषणा की है। जेट के बंद होने से हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं।
जेट के रिवाइवल प्लान का खुलासा दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में शुक्रवार को सोसायटी फॉर वेलफेयर ऑफ इंडियन पायलट(एसडबल्यूआईपी) के महासचिव कैप्टन अश्विन त्यागी ने की। त्यागी ने बताया कि नकदी के संकट से जूझ रही देश की निजी क्षेत्र की सबसे बेहतरीन एयरलाइंस में से एक जेट एयरवेज को फिर से उड़ान भरने का प्लान तैयार है।
जेट एयरवेज का रिवाइवल 90 दिनों के भीतर होगा
जेट एयरवेज का रिवाइवल आदि ग्रुप कर्मचारी संगठनों के सहयोग से 90 दिनों के अंदर पूरा करेगी। इस बात का खुलासा पत्रकारों से बातचीत में आदि ग्रुप के चेयरमैन संजय विश्वनाथन ने किया। उन्होंने कैप्टन त्यागी और जेट एयरवेज के अन्य संगठनों द्वारा बिना शर्त सहयोग की बात कही। उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण(एनसीएलटी) के जरिए पूरा किया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है।
सामूहिक निवेश के जरिए फिर से उड़ान भरेगी जेट
आदि ग्रुप के चेयरमैन ने बताया कि जेट एयरवेज को फिर से परिचालन में लाने और उड़ान भरने के लिए फूलप्रूफ प्लान तैयार किया गया है। इसमें आदि ग्रुप की भागीदारी 49 फीसदी की होगी, जिसमें 26 फीसदी भारतीय निवेशक और शेष विदेशी निवेशक होंगे। इसके अलावा 26 फीसदी निवेश जेट के कर्मचारियों का संगठनों का होगा। इसमें सोसायटी फॉर वेलफेयर ऑफ इंडियन पायलट (एसडबल्यूआईपी), जेट एयरक्रॉफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियरिंग वेलफेयर एसोसिएशन(जेएएमईडब्ल्यूए), जेट एयरवेज केबिन क्रू एसोसिएशन (जेएसीसीए), ऑल इंडिया जेट एयरवेज टेक्निकल एसोसिएशन और सेव जेट एयरवेज प्रमुख हैं। इसके अलावा शेष 25 फीसदी निवेश बैंकों से लोन लेकर किया जाएगा और भविषय में कंपनी अपना इश्यू भी लाएगी।
सरकार ने भी जेट संकट को बताया आंतरिक मामला
इससे पहले केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में कहा था कि वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरलाइन को अब सिर्फ ‘इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड’ (आईबीसी) के जरिए ही बचाना संभव है। नागरिक विमानन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा में बताया था कि मेसर्स जेट के लिए फंड जुटाने में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं है। एयरवेज पर कर्जदारों का 8,400 हजार करोड़ रुपये के अलावा कर्मचारियों की सैलरी और लीज रेंट का भी करोड़ों रुपये बकाया है।
उल्लेखनीय है कि जेट की सेवाएं न सिर्फ बंद हैं बल्कि इसके विदेशी रूट्स पर कई एयरलाइंस कंपनियां निगाहें गड़ाए हुए हैं। नागर विमानन महानिदेशालय(डीजीसीए) ने इसके कुछ घरेलू मार्गों को अस्थायी तौर पर प्रतिद्वंद्वी विमानन कंपनियों को दे दिया है। वहीं जेट के आधे अति व्यस्ततम विदेशी रूट्स को एयर इंडिया को दिया गया है।