उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में हर साल की तरह इस साल भी झंडा मेला शुरु हो चुका है। फाग के पांचवें दिन लगने वाले ऐतिहासिक झंडा मेले की तैयारियां काफी पहले से शुरु कर दी गई थी।
दरबार साहब के मेला अधिकारी कै.सी जुयाल ने बताया की मंगलवार 6 मार्च की सुबह 90 फीट के झंडे का आरोहण किया गया। इसके लिए देश-विदेश से और पंजाब से लाखों की संख्या में संगत आती है। पंचमी के दिन झंडा साहब को दूध, दही और शहद आदि से स्नान करवाकर उस पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है। झंडा मेला के लिए बाहर से व्यापारी आकर अपनी दुकानें लगाते हैं। वहीं बच्चों के लिए तरह-तरह के झूले भी लगाए गए हैं।
परम्परा के अनुसार हर तीन साल में झंडा जी को बदला जाता है। पुराने झंडा जी को तीन साल हो चुके हैं। लिहाजा इस बार झंडा जी के लिए नए दरख्त को तैयार किया गया। इस बार 6 मार्च को लुधियाना के अर्जुन सिंह दर्शनी गिलाफ चढ़ाएंगे। जिनके पिता ने 30 साल पहले मन्नत पूरी होने पर गिलाफ चढ़ाना कबूला था और बुकिंग कराई थी, वहीं दरवार साहिब के अनुसार 2116 तक दर्शनी गिलाफ चढ़ाने की बुकिंग हो चुकी है।
दरअसल दून के इतिहास और स्थापना से सीधे तौर पर जुड़ा श्री झंडा जी मेला श्री गुरु राम राय जी के पदार्पण सन् 1679 से मनाया जा रहा है। देहरादून की खूबसूरती और शांत आबोहवा को देखते हुए गुरु रामराय जी ने यहा डेरा जमाया और तभी से इस जगह का नाम डेरादीन से डेरादून और फिर देहरादून पड़ा। देहरादून ही श्री गुरुराम राय की कर्मस्थली रही है जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में भक्त उनकी याद में पूरे विधि विधान के साथ झंडे जी को चढ़ा कर इस पारंपरिक मेले में भाग लेते हैं।
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