दून के ऐतिहासिक झंडा जी साहब का 371वां मेला 17 मार्च से शुरु होगा। परम्परा के अनुसार हर तीन साल में झंडा जी को बदला जाता है। पुराने झंडा जी को तीन साल हो चुके हैं। लिहाजा इस बार झंडा जी के लिए नए दरख्त को तैयार किया जा रहा है। मोहब्बेवाला-दूधली के जंगल से साल के पेड़ को झंडा जी के लिए चुना जा चुका है।मोहब्बेवाला स्थित श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल में इस झंडे जी को तराशने का काम चल रहा है। 14 को पंजाब की संगत दून आने पर इसे कंधे में लादकर दरबार साहिब लेकर आएगी। इस बार करनाल (हरियाणा) के आशीष कुमार गोयल को पवित्र दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का मौका मिलेगा। दर्शनी गिलाफ चढ़ाने की बुकिंग उनके पिता स्व.प्रेमचंद ने 28 साल पहले कराई थी।
हजारों श्रद्धालु देश-विदेश से देहरादून पहुंचते हैं
।दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए आशीष अपनी मां रेनू और बहनों के साथ 16 मार्च को दून पहुंचेंगे। दून के झंडा जी मोहल्ले में ही आशीष की मां का मायका भी है। रेनू ने बताया कि उनके पति ने पुत्र आशीष के पैदा होने पर झंडा जी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाने की मन्नत मांगी थी। आशीष का परिवार अब कुरुक्षेत्र में रहता है। महंत श्री गुरु राम राय की ओर से सन् 1646 में शुरू किए गए झंडा जी मेले के लिए छह मार्च को पंजाब की पैदल संगत को न्योता भेजा जाएगा। इसके साथ झंडा मेले की तैयारियां भी शुरू हो जाएंगी। दून के सबसे पुराने व बड़े मेले के लिए दून में गुरु राम राय मिशन से जुड़े हजारों श्रद्धालु देश-विदेश से देहरादून पहुंचते हैं। आर्कषक दृश्य नब्बे फीट के झंडा जी का आरोहण और उस पर चढ़ाए जाने वाले गिलाफ होते हैं। झंडा जी पर चढ़ाए जाने वाले गिलाफ की बुकिंग पहले से करनी पड़ती है। इस पर हर साल सिर्फ एक दर्शनी गिलाफ, बीस सनील व चालीस सादे गिलाफ चढ़ाए जाते हैं। इस वजह से इसमें गिलाफ चढ़ाने की मनौती मांगने वालों को अपना नाम एक रजिस्टर में लिखवाना होता है। झंडा जी साहब मेले में श्रद्धालुओं दूर-दूर से पहुंचते हैं और मत्था टेक कर मन्नत मांगते हैं।