चीन से दुनिया भर में फैली कोरोना विषाणु की महामारी के कारण जून के पहले पखवाड़े में शुरू होने वाली चीन स्थित कैलाश मानसरोवर के लिए होने वाली प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा पर संशय गहरा गया है।
हिंदुओं के साथ ही जैन, बौद्ध, सिक्ख और बोनपा धर्म के श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी, विश्व की सबसे कठिनतम और प्राचीनतम पैदल यात्राओं में शुमार 1,700 किमी लंबी, वर्ष 1981 लगातार जून से सितंबर के बीच आयोजित होने वाली इस यात्रा के लिए फरवरी अंत व मार्च की शुरुआत में ही ऑनलाइन आवेदन शुरू हो जाते थे और मार्च माह में तैयारी बैठकें शुरू हो जाती थीं। इसके बावजूद इस वर्ष अप्रैल माह का चौथा सप्ताह बीतने तक भी न ही यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो पाये हैं और न ही तैयारी बैठकें ही शुरू हो पायी हैं। ऐसे में लिपुलेख दर्रे के पारंपरिक मार्ग से होने वाली यात्रा की भारतीय क्षेत्र में व्यवस्थाएं संभालने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम के अधिकारी भी यात्रा के शुरू होने के प्रति सशंकित हैं।
1981 से लगातार आयोजित हो रही है यात्रा
निगम के प्रबंध निदेशक रोहित मीणा ने स्वीकारा कि अब तक यात्रा तैयारियों से संबंधित एक भी बैठक नहीं हुई है और यात्रा के संबंध में यात्रा के आयोजक भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से कोई दिशा-निर्देश भी प्राप्त नहीं हुए हैं। अलबत्ता उन्होंने उम्मीद जताई कि कोराना का संकट शीघ्र निपट जाने की स्थिति में आखिरी चरण में भी यात्रा कुछ दिनों के लिए हो सकती है। अलबत्ता, तब तक मौसमी समस्याओं के कारण इस बारे में साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि यात्रा से क्षेत्रीय लोगों का करीब चार करोड़ रुपये का कारोबार होना बताया जाता है।