कोटद्वार के युवा शिक्षक संतोष नेगी की पहल से युवको में बढ़ा कण्वाश्रम का क्रेज

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कोटद्वार, हमारे देश भारत का नाम जिन राजा भरत के नाम पर पड़ा उन राजा भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम कोटद्वार में है और इसकी अपनी एक अलग ऐतिहासिक पहचान है। यहाँ पर सरकार द्वारा 5 दिन के मेले का आयोजन भी किया जाता है।किंतु अब कब्वश्राम अब एक नए कारण से चर्चा में है। यहां की सुरमई वादियां, पहाड़िया, लंबी लंबी सड़के, बड़े बड़े पेड़, बहता पानी, बड़े बड़े पत्थर और पुल अब प्री वेडिंग फोटोग्राफी के लिए लोकप्रिय हो चुके है।
हाल ही में कोटद्वार के शिक्षक संतोष नेगी द्वारा कण्व आश्रम में शुरू इस पहल का असर यह है कि कई युवा जिनकी शादी अब होने वाली है वह सब आने वाले कुछ महीनों में कण्वाश्रम में फ़ोटो शूट हेतु संपर्क कर चुके है ।प्री वेडिंग युवाओं में नया उभरता हुआ एक ट्रेंड है जिसमे वे दंपति जो शीघ्र ही विवाह करने वाले है अपने विवाह से पूर्व खास जगहों में जाकर फोटोशूट करते है।इसमें युवा दम्पति अपने बजट अनुसार 70 हज़ार से 2 लाख तक का ख़र्चा कर देते है।
कोटद्वार का कण्वाश्रम भी एक ऐसा ही प्राचीन स्थल है जिसमे नदी, पानी, रोड, हिरण का पार्क, खुले मैदान , लंबी रोड, बढ़िया पहाड़िया है जो कि फोटोग्राफी की सारी जरूरतों को पूर्ण करते है ।इस जगह को एक नए नज़रिए के साथ शिक्षक संतोष नेगी ने देखा और अपनी शादी से पूर्व के फोटो, विडियो शूट के लिए भावी जीवनसाथी रजनी नेगी से चर्चा की और फिर फोटो शूट कण्वाश्रम में ही करवाया और एक नयी पहचान के साथ कण्वाश्रम को दुनिया के आगे लाया गया।
शिक्षक संतोष के अनुसार अब तक कई भावी दम्पति उनसे कणआश्रम के बारे में फोटोशूट के लिए पूछ चुके है । इस कारण कोटद्वार के कई फोटोग्राफर, ट्रेवल एजेंसी, होटल ,रेस्टोरेंट एवं अन्यो को रोजगार बढ़ने की सम्भावना जताई जा रही है।संतोष नेगी के अनुसार”ऐसा कहा जाता है कि कण्वाश्रम प्राचीन काल से ही गंधर्व विवाह की धरती रहा है ।
मान्यता है कि इसी क्षेत्र  में ही ऋषि विश्वामित्र ,मेनका एवं शकुंतला, दुष्यन्त का विवाह हुआ था। इसकी खासियत सुरमई वातावरण है । बस जरूरत है तो इसको एक नए रूप में दुनिया के आगे लाने की ताकि सारे वर्षभर यहां से रोजगार मिलता रहे। शिक्षक संतोष ने इसी सोच के साथ प्रिवेडिंग के स्थल हेतु इसे चुना ।