सावन का महीना आते ही शिव भक्तो मे नया जोश ओर उमंग उठने लगती है, श्रावणी कावड यात्रा के पहले सोमवार को ऋषीकेश मे श्रद्धालुयों की भारी भीड़ जुटी है। तीर्थ नगरी हर तरफ शिवमयी हो गयी है और हर तरफ बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है। बड़ी संख्या मे कावडीए जलाभिषेक के लिए नीलकंठ धाम पहुच रहे है।
सावन आते ही अपने छेत्र से बड़ी संख्या मे कावड यात्रा पर निकल पड़ते है। इनका पहला पड़ाव होता है हरिद्वार जहां हरकी पोड़ी पर स्नान करके ये आगे ऋषीकेश पहुचते है, ऋषीकेश मे स्वर्गाश्रम से शुरु होती है नीलकंठ महादेव की यात्रा। इस यात्रा मे पश्चिमी उत्तर प्रदेश ,हरियाणा,राजस्थान ओर पंजाब से लाखो की संख्या मे श्रद्धालु नीलकंठ महादेव पर जल चडाने आते है ओर भगवान् शिव इनकी मन्नतो को पूर कर देते है।
मान्यता है कि उत्तराखंड के कण-कण मे भगवान शिव का वास है हिमालय शिव परिवार का वास स्थान है यहाँ की यात्रा अौर यहाँ के दर्शन मात्र से भक्तो के सभी दुःख दूर हो जाते है, यही कारण है की कावड़ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले नीलकंठ महादेव के दर्शन कर जलाभिसेक करते है। टिहरी एसपी उन्होंने ये भी बताया की कावड़ियों को हुड़दंग से बचना चाहिए। ट्रैफिक ववस्था , जल पुलिस और सभी संदिग्धो पर निगाह रखी जाएगी।
वेद पुराणो में मान्यता है कि सावन के महीने मे शिव परिवार की आराधना की जाती है चतुर्थ मास के इन चार महीनो मे शिव परिवार पर ही पूरी सृष्टी को चलाने का भार रहता है यही कारण है सावन के महीने मे भगवान् शिव की पूजा की जाती है और शिवालयों पर जल चढाने ने भगवान शिव प्रसन्न होते है।