सफलता का सबसे बड़ा रहस्य है – “एक शुरुआत” और इसी एक शुरुआत से आज उत्तराखंड की महिलाएं दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल बन रही हैं। उत्तराखंड का एक छोटा सा गांव जिसकी महिलाओं की कहानी वाकई किसी फिल्म की स्टोरी से कम नहीं है क्योंकि केवल अपने सुई-धागे के बल पर आज इन्होंने सशक्तिकरण की परिभाषा को एक नया रुप दिया हैं।
हम बात कर रहे हैं नैनीताल जिले की एक संस्था कर्त्तव्य कर्मा की जिसके अंर्तगत बहुत सी महिलाएं अपने जीवन को बदलने की राह पर आगे बढ़ रही हैं। नैनीताल के छोटे से गांव तल्ला गेठिया की यह महिलाएं पहले केवल बटन लगाने व हल्की फुल्की सिलाई करके अपने जीवनयापन करती थी लेकिन आज इनके बनाई हुई ज्वैलरी और बैग भारतीयों के साथ-साथ विदेशियों को भी खासा पसंद आ रहे हैं। इन महिलाओं ने अपनी मेहनत और लगन से आज अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाया हैं।
कर्तव्य कर्मा संस्था की शुरुआत साल 2014 से हुई, केवल 2 महिलाओं से शुरु हुई इस संस्था के साथ अब लगभग 62 महिलाएं जुड़ी हुईं है जो ना केवल अलग-अलग तरह की खूबसूरत ज्वैलरी और बैग बनाती है बल्कि बड़े-बड़े यूनिर्वसिटी के बच्चे इनसे ट्रेनिंग और इंर्टनशिप करना चाहते हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव से यह मुमकिन नहीं हो पा रहा। खास बात यह है कि बिना किसी डिजाईनिंग की डिग्री लिए और प्रोफेशनल कॉलेज से पढ़ाई किए यह सभी महिलाएं इतनी सफाई से काम करती हैं कि वह काबिले तारीफ होता हैं।
बीते साल वरुण धवन और अनुष्का शर्मा की फिल्म सुई-धागा में जिस तरह से मौजी और ममता की कहानी थी ठीक वैसी ही कहानी इन औरतों की हैं।सुई-धागा फिल्म का प्रोमो देख कर कर्त्तव्य कर्मा के संस्थापक गौरव अग्रवाल ने वरुण धवन को टिव्ट करके अपने संस्था के बारे में बताया था जिसपर वरुण धवन ने जवाब देते हुए कहा था कि इस फिल्म से आप खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे।
कर्त्तव्य कर्मा के बारे में और बात करते हुए संस्थापक गौरव अग्रवाल हमें बताते हैं कि केवल दो महिलाओं से शुरु होकर आज हमारे साथ कुल 62 महिलाएं काम कर रही हैं।य ह सभी महिलाएं नैनीताल के आस-पास के गांव की है।यह महिलाएं कपड़ों की मदद से कान की बालियां,गले की माला, बैग आदि बनाती हैं।इन सबको बनाने के लिए हम कपड़ा राजस्थान से मंगाते हैं जिसमें सूती कपड़े, कच्ची खादी, जूट, इंडिगो मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है।
आपको बतादें कि इन महिलाओं से काम सीखने के लिए धीरु भाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ कम्यूनिकेशन के 18 छात्रों इंर्टनशिप देने के लिए भी लेटर आ चुका है लेकिन सुविधाएं ना होने की वजह से यह नही हो पाया।
इस संस्था को शुरु करने के विचार के बारे में बात करते हुए गौरव हमें बताते हैं कि मैंने कर्त्तव्य कर्मा की शुरुआत में यह सोचा था कि क्यों ना कुछ ऐसा काम किया जाए जो गाँव की पहचान बन जाए। गाँव को छोड़कर पलायन करने वालों को यह बताया जाए की ग्लोबल होने के लिए गाँव छोड़ना जरुरी नहीं है क्योंकि अपने गांव में रहकर अपनी कला से भी लोग मशहूर हो रहे हैं। इसी सोच के साथ कर्त्तव्य कर्मा की शुरुआत हुई थी और आज यह यहाँ की हुनरमंद महिलाओं की पहचान बन चुका है।
नैनीताल के गांव तल्ला गेठिया से लेकर गेठिया मल्ला, गेठिया सेनेटोरियम, गेठिया पड़ाव, ज्योलिकोट (नैनीताल) और चिलियानौला (रानीखेत) की महिलाएं कर्त्तव्य कर्मा से जुड़ी हुई हैं।
आखिरी में गौरव कहते हैं ,कि” हम अपने गाँव को एक हस्तकला गांव (हैंडीक्राफ्ट विलेज) बनाना चाहते हैं। जहां हमारा अपना ट्रेनिंग सेंटर और वर्कशॉप सेंटर है,हमारा डिसप्ले सेंटर हो, ऐपण गैलरी हो, और लोग यहां आकर हमारे को सीखे और हमारे काम को पहचाने।हमारे काम के माध्यम से हमारा यह गाँव उत्तराखंड की शान और पहचान बने।”-
आप कर्त्तव्य कर्मा के बनाए हुए प्रोडक्ट्स आप उनके सोशल मीडिया पेज फेसबुक और इंस्टाग्राम पर देख सकते हैंः
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