रुद्रप्रयाग। केदारनाथ विकास प्राधिकरण का नक्शा जल्द ही बदलने वाला है। इसके लिए शासन स्तरा पर कसरत शुरू कर दी गई है। इसके तहत किन क्षेत्रों को नक्शे शामिल करना है और कौन से क्षेत्र हटाए जाने हैं, इसे लेकर मंथन जारी है। जल्द ही इस मामले में जिला प्रशासन की ओर से शासन को रिपोर्ट भेज दी जाएगी। वर्तमान में वासुकीताल, चौराबाड़ी समेत केदारपुरी के दूरस्थ क्षेत्रों को भी केडीए में लिया गया है। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण केदारनाथ पैदल मार्ग इसमें शामिल नहीं है।
केदारनाथ आपदा के तीन माह बाद सितंबर 2013 में तत्कालीन सरकार ने केडीए के गठन का शासनादेश जारी किया था। इसमें वासुकीताल व चौराबाड़ी से जुड़े क्षेत्र के साथ ही भैरव मंदिर, गरुड़चट्टी, रामबाड़ा, गौरीकुंड व त्रियुगीनारायण समेत 500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को शामिल किया गया। लेकिन, इसे धरातल पर उतारने की तैयारी अब चार साल बाद चल रही है। हालांकि, केडीए को लेकर कई भ्रांतियां भी हैं। मसलन, केदारनाथ पैदल मार्ग को इसमें शाामिल नहीं किया गया है, जबकि वासुकीताल व चौराबाड़ी क्षेत्र को इसमें शामिल किया जाना तर्कसंगत नहीं माना जा रहा। इतना ही नहीं, केडीए के अंतर्गत केदारपुरी से छह किमी दूर हिमालयी क्षेत्र के विकास की बात भी गले नहीं उतर रही।
केदारपुरी में खोला जा रहा कार्यालय
20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन पांच परियोजनाओं की केदारपुरी में नींव रखी थी, उन्हें धरातल पर उतारने के लिए केदारपुरी में केडीए का दफ्तर खोला जा रहा है। साथ ही इन दिनों जीपीएस से केडीए में शामिल क्षेत्र का सर्वे भी चल रहा है। जल्द ही नक्शे को अंतिम रूप देकर इसकी रिपोर्ट डीएम रुद्रप्रयाग के माध्यम से शासन को भेज दी जाएगी। इधर, केडीए में अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया भी चल रही है। जिलाधिकारी केडीए में मुख्य कार्याधिकारी होंगे, जबकि प्रमुख सचिव पर्यटन को प्राधिकरण के अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया है। इसके अलावा कार्यालय संचालन के लिए एक दर्जन अन्य पदों पर भी भर्ती होनी है।
जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि तमाम विसंगतियों को देखते हुए केडीए के क्षेत्रफल में परिवर्तन किया जाना है। इसके तहत केदारनाथ पैदल मार्ग को प्राधिकरण में शामिल किया जाना है। साथ ही वासुकीताल व चौराबाड़ी क्षेत्र को केडीए में रखा जाए या नहीं, इस पर भी विचार चल रहा है। इसके लिए इन दिनों सर्वे कराया जा रहा है।