द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि महाशिवरात्रि पर्व पर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में पंचाग गणना के अनुसार विद्वान आचार्यों, देव स्थानम् बोर्ड के अधिकारियों व हक-हकूकधारियाें की मौजूदगी में घोषित कर दी गयी है। इस वर्ष भगवान केदारनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 17 मई को ब्रह्म बेला पर प्रातः 5 बजे मेष लगन में खोल दिये जाएंगे। जबकि भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली 14 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ से हिमालय के लिए रवाना होगी।
महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में रावल भीमाशंकर लिंग, देव स्थानम् बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी बीडी सिंह, एनपी जमलोकी, केदारनाथ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती, केदारसभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला, पूर्व कार्यधिकारी अनिल शर्मा, पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भटट् सहित विद्वान आचार्यों, वेदपाठियों सहित हक-हकूकधारियो की मौजूदगी में घोषित तिथि के अनुसार 13 मई को भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में केदारपुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ की पूजा विधि-विधान व पौराणिक परम्पराओं के अनुसार सम्पन्न की जायेगी तथा 14 मई को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली श्रद्धालु की जयकारों, आर्मी की बैण्ड धुनों के साथ ऊखीमठ से हिमालय के लिए रवाना होकर जैबरी, विद्यापीठ, गुप्तकाशी, नाला, नारायणकोटी, मैखण्डा यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए फाटा पहुंचेगी।
15 मई को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली फाटा से प्रस्थान पर शेरसी, बडासू, रामपुर, सीतापुर, सोनप्रयाग यात्रा पडावों से होते हुये रात्रि प्रवास के लिए गौरी माता मन्दिर गौरीकुण्ड पहुंचेगी तथा 16 मई को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली गौरीकुण्ड से रवाना होकर विभिन्न यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए केदारनाथ धाम पहुंचकर भण्डार गृह मे विराजमान होगी तथा 17 मई को भगवान केदारनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बह्म बेला पर 5 बजे मेघ लगन में ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे।