हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहां तमाम सफलताओं के बावजूद महिलाओं को आज भी पुरुष प्रधान समाज में अपने लिये जगह तलाश करनी पड़ रही है। आम लोग छोड़िये, हमारे नेता भी महिलाओं के प्रति संवेदनहीन बयान देने की रेस में एक दूसरे को पीछे छोड़ने में लगे हैं। इन सभी नकारात्मकताओं के बीच देश की बेटियां अपना मुकाम हासिल करने में लगी हुई हैं।
अपनी और अपनी जैसी बहुत सी लड़कियों की जिंदगी बदलने वाली एक महिला का नाम है खीमा जेठी। 1 जुलाई 1973 में पैदा हुई खीमा, जेठी गांव अस्कोट के एक किसान परिवार से हैं। खीमा के अलावा उनके दो भाई और बहन हैं। बड़ी बहन होने के नाते खीमा के ऊपर पर हमेशा जिम्मेदारियां रहीं, चाहें वह खेती कि हो या घरेलू कामजकाम की। घर से स्कूल दूर होने के चलते स्कूली शिक्षा में भी देरी हुई।
बहुत कम उम्र से ही खीमा ने संघर्ष भरे जीवन का सामना किया। 12 वीं पास करने के बाद से ही खीमा अपने गांव-घर के आसपास महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने लगी थी। उसके इस कदम से गांव में बहुत से लोगों ने उसकी और उसके घरवालों से दुश्मनी भी निकाली। आज 45 की उम्र में भी खीमा का ये संघर्ष जारी है, “दूसरो की मदद करने से अंदर से खुशी मिलती है। अगर मेरी किसी कोशिश से किसी के घर परिवार में खुशियां आती है तो मैं अपने आप को खुशकिस्मत मानती हूं।”
साल 2001 से खीमा सामाजिक संस्था से जुड़ी और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा, “आने वाले समय में मैं पहले की की तरह काम करुंगी, जितना ज्यादा हो सके उससे ज्यादा करूंगी .. मैं अपने साथ सकारात्मक सोच के लोगों को जोड़ने की बात सोची है जिससे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बन सके.”
अपने सालों से चल रहे काम की तरह खीमा ने कई बार सरकार का दरवाजा भी खटखटाया है लेकिन, हमेशा खाली हाथ ही लौटी, लेकिन कभी भी हार नहीं मानी, “हम सरकार तक नही पहुंच पाते हैं। हर लडाई अकेले लडनी पड़ती है। स्थानीय प्रशासन तो कभी कभी सुनता है, लेकिन लड़ाई को सार्थक अंजाम तक पहुंचाने के लिये सफर अकेले ही तय करना पड़ता है।”
मुख्य उपलब्धियाः
• नौ गांवों के वन राजी जनजाति परिवारों के मुख्य मुद्दों पर सहयोग देना जैसे आजिविका, शिक्षा व स्वास्थ्य
• 129 राजी जनजाति के नेतृत्व क्षमता को विकसित किया है और 150 महिलाओ को रोजगार के साधन दिए।
• घेरलू हिंसा कानून के तहत 600 से अधिक महिलाओ की मदद किया
• बाल-विवाह के लगभग 8 केसों पर हस्तेक्षेप कर उसमें उचित कार्यवाही करी
मजबूत इरादों के साथ खीमा आज भी अनगिनत लड़कियों और उनके परिवार के लिए रोशनी का एक जरिया है जिसे वो एक आंदोलन के रुप में बदलना चाहती हैं।