कुंभ 2021ः अखाड़ों ने शुरू की धर्मध्वजा लगाने की तैयारी

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कुंभ
धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ मेले की तैयारियों के बीच अखाड़ों ने भी अपनी-अपनी धर्मध्वजा की स्थापना की तैयारियां शुरू कर दी हैं। सनातन संस्कृति के प्रतीक सभी 13 अखाड़ों के कुंभ कार्यों की शुरुआत धर्मध्वजा के साथ ही होती है। सभी अखाड़ों की धर्म ध्वजाओं की लंबाई और इनके धर्मचिह्न भी अलग-अलग होते हैं। इन्हीं धर्मध्वजों के नीचे सभी अखाड़ों के धार्मिक क्रियाकलाप सम्पन्न होते हैं।
कुंभ मेले में धर्म ध्वजाओं का विशेष महत्व होता है। अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थल के चिह्नीकरण के साथ ही इन स्थलों को तेजी से सजाया संवारा जा रहा है। हालांकि, कोरोना के चलते ये कार्य भी प्रभावित हुए हैं। ऐसे में कुंभ मेला प्रशासन जल्द ही सभी अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ राजाजी पार्क की मोतीचूर रेंज के जंगलों में जाकर धर्म ध्वजा के धर्म दण्डों के चयन को जाएगा। संतों ने मेला प्रशासन से जल्द इस प्रक्रिया को पूरी करने की मांग की है।
संन्यासी, वैरागी, उदासीन और निर्मल सम्प्रदाय के सभी 13 अखाड़ों में धर्म ध्वजा का विशेष महत्व होता है। अलग-अलग धर्मध्वजा को कुंभ की भूमि में स्थापित करने के पीछे मान्यताएं भी हैं। कुंभ क्षेत्र में जाने के बाद सबसे पहले भूमि पूजन कर धर्मध्वजा को स्थापित किया जा जाता है। धर्मध्वजा के दंड में 52 जनेऊ की गाठें लगाई जाती हैं, जो 52 मणियों व 52 शक्ति पीठों की प्रतीक मानी जाती है। अलग-अलग अखाड़े अपने-अपने अनुसार धर्मध्वजा लगाते हैं। धर्मध्वजा की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है।