पैंगोंग के बाद अब चीन पहुंचा डेप्सांग घाटी

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डेप्सांग
-डेप्सांग इलाके का 900 वर्ग किमी. क्षेत्र चीनी कब्जे में
-चीनी और भारतीय वायुसेना की खासी हलचल बढ़ी
पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर मुंह की खाने के बाद अब चीनी सेना डेप्सांग में भारत के खिलाफ नया मोर्चा खोलने की तैयारी में है। पिछले 4 दिनों में यहां चीनी वायुसेना की खासी हलचल देखी जा रही है। चीन की चाल देखकर भारतीय वायुसेना ने भी अपनी मूवमेंट बढ़ा दी है। भारत की सेना ने भी इस इलाके में अतिरिक्त टुकड़ी, हथियार, गोला-बारूद की तैनाती की है।
खुफिया सूचनाओं के अनुसार, भारतीय सीमा में लगभग 12 किमी. अंदर आकर डेप्सांग में कब्जा जमाए बैठे चीनी सैनिकों ने लद्दाख में अब तक 1,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपने कब्जे में लिया है। रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी कहते भी हैं कि चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा को जबरन बदलने के परिणामस्वरूप लगभग 1,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अपने कब्जे में कर लिया है, जिसमें डेप्सांग मैदानी इलाके का 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है, जो भारत की सुरक्षा के लिए अत्यधिक महत्व का क्षेत्र है।
खुफिया सूचनाओं के मुताबिक मौजूदा तनाव के दौरान डेप्सांग प्लेन इलाके के पेट्रोलिंग प्वाइंट 10 से 13 तक लगभग 900 वर्ग किमी. का इलाका चीनी कब्जे में चला गया है। इसी तरह गलवान घाटी में लगभग 20 वर्ग किमी. और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में 12 वर्ग किमी. क्षेत्र चीनी कब्जे में है। पैंगोंग त्सो में 65 वर्ग किमी. चीनी नियंत्रण में है, जब​​कि चुशुल में यह 20 वर्ग किलोमीटर है। इस डेप्सांग प्लेन में कुल पांच पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 10, 11, 11ए, 12 और 13 हैं जहां चीनी सेना भारतीय सैनिकों को गश्त करने से लगातार रोक रही है।​ ​भारत चाहता है कि डेप्सांग के मैदानी इलाके से चीनी सेना वापस 12 किमी. अपनी सीमा में जाए और यहां एलएसी दोनों पक्षों के बीच व्यापक रूप से स्पष्ट हो।
यह वही इलाका है जहां पर चीन की सेना ने 2013 में भी घुसपैठ की थी और दोनों देशों की सेनाएं 25 दिनों तक आमने-सामने रही थींं। अब सेटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीनियों ने यहां पर नए शिविर और वाहनों के लिए ट्रैक बनाए हैं जिसकी पुष्टि जमीनी ट्रैकिंग के जरिये भी हुई है। इसके अलावा बड़ी तादाद में सैनिक, गाड़ियां और स्पेशल एक्यूपमेंट इकठ्ठा किया है। भारत ने मई के अंत में ही भांप लिया था कि चीन अगली लामबंदी डेप्सांग में कर सकता है, इसीलिए भारतीय सैनिकों ने तभी से इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी पुख्ता कर ली थी।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बीच एक बड़ा मुद्दा डेप्सांग घाटी इसलिए रहा है क्योंकि भारत ने अप्रैल 2013 में फेसऑफ के करीब चार महीने बाद वायुसेना ने डीबीओ में सालों से बंद पड़ी 16,614 फीट की ऊंचाई पर अपनी हवाई पट्टी को फिर से शुरू की थी।वायुसेना ने यहां अपने मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-130जे सुपर हरक्यूलिस की लैंडिंग कराकर दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी का खिताब हासिल किया था। चीनी सेना जिस इलाके में भारतीय सैनिकों की पेट्रोलिंग में बाधा डाल रही है, वो भारत-चीन सीमा के सामरिक दर्रे काराकोरम के बेहद करीब का इलाका है। यहां से चीन के कब्जे वाला अक्साई चिन क्षेत्र लगभग 7 किमी. दूर है। इससे साफ है कि गलवान घाटी, फिंगर-एरिया, पैंगोंग झील और गोगरा (हॉट स्प्रिंग) के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच डेप्सांग घाटी पांचवांं विवादित इलाका है।
भारतीय सेना ने डेप्सांग के मैदानी इलाकों के पास चीनी सेना की मौजूदगी देखते हुए खास तैनाती की है। वहां पर हथ‍ियारबंद और खास लड़ाकू समूह को तैनात किया गया है। चूमर में भी पीएलए के मुकाबले में स्‍पेशल ग्रुप भेजा गया है ताकि चीनी सेना को साफ संदेश मिले कि भारत एक इंच जमीन देने को तैयार नहीं है। देमचोक और चूमर इलाके में भारत की पकड़ मजबूत है। यहां भारत की नजर ल्‍हासा-काशगर (219) हाइवे पर रहती है जो पीएलए की लॉजिस्टिक्‍स सप्‍लाई के लिए बहुत अहम है।