ऋषिकेश, कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पतित पावनी गंगा में देश के विभिन्न प्रांतों सहित विदेशों से पहुंचे तीर्थनगरी ऋषिकेश में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डूबकी लगाई। डुबकी लगाने के साथ जहां सुबह उगते सूरज को अर्क दिया, वहीं घाटों पर दीप दान भी किए।
कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर ऋषिकेश के स्वर्ग आश्रम, लक्ष्मण झूला, राम झुला पर सहित विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने स्नान और दीपदान कर पुण्य अर्जित किया। वहीं, ऋषिकेश तीर्थ नगरी के लक्ष्मी नारायण मंदिर में भगवान विष्णु की आरती उतारी गई। इससे पहले गुरुवार को हजारों श्रद्धालुओं और नगरवासियों ने बैकुंठ चतुर्दशी और सत्यनारायण व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की थी।
कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से हजारों की संख्या में लोग गुरुवार को ही लोग आने शुरू हो गए थे। जिन्होंने अपने गुरु स्थानों व आश्रमों मैं डेरा जमा लिया था और उन्होंने सुबह चार बजे से ही गंगा में डुबकी लगानी शुरू कर दी थी। स्नान के पर्व को देखते हुए गंगा महासभा ने घाटों पर विशेष व्यवस्था की थी।
गंगा स्नान करने वालों की सुरक्षा के लिए पुलिस ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। गंगा स्नान के चलते नगर में पहुंचे बड़ी संख्या में वाहनों के कारण त्रिवेणी घाट से लेकर राम झूला तक यातायात व्यवस्था भी लड़खड़ा गई थी। जिसे सुचारू करने के लिए ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को सर्दी में भी काफी पसीना बहाना पड़ा।
तीर्थ पुरोहित समिति के महामंत्री चैतन्य शर्मा का कहना था कि पूर्णिमा के कृतिका नक्षत्र में पड़ने से कार्तिक पूर्णिमा स्नान का खास महत्व हो जाता है। आज शुक्रवार को पूर्णिमा स्नान के साथ ही देवोत्थान एकादशी से चल रहे विष्णु पर्वों का समापन भी हो गया है। आज का पर्व ध्वज योग में पड़ा है, जिसमें चंद्रमा वृष राशि में प्रवेश कर गया इस दिन दान देने का भी महत्व है।