चुनाव प्रचार का अंतिम दिन, उम्मीदवारों ने झोंकी ताकत

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कांग्रेस

हरिद्वार। लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों ने मतदाताओं को रिझाने में खूब डोरे डाले। मंगलवार को उम्मीदवार पूरी ताकत के साथ प्रचार के अंतिम दिन चुनाव प्रचार में उतरे। प्रचार के दौरान जहां भाजपा ने विकास कार्य को गिनाकर अपने पक्ष में वोट देने की अपील की तो कांग्रेस उम्मीदवार ने खुद को स्थानीय होने की बात कहकर वोट मांगे।
बसपा उम्मीदवार जातिय समीकरणों के आधार पर अपने पक्ष में मतदान कराने की अपील करते नजर आए। निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपने-अपने तरीके से चुनाव प्रचार किया। उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार भिन्न-भिन्न मुद्दों पर रहा। जनता ने किस उम्मीदवार को स्वीकार्यता देगी इस बात का खुलासा तो 23 मई को मतगणना के बाद ही हो पायेगा लेकिन उम्मीदवारों ने वोटरों को रिझाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है।
हरिद्वार लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और बसपा के बीच नजर आ रहा है, जबकि कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। नामांकन के बाद चुनाव प्रचार में जुटे उम्मीदवारों ने मतदाताओं को रिझाने के लिए खूब डोरे डाले। भाजपा प्रत्याशी डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की बात करें तो उन्होंने मोदी सरकार की पांच साल की उपलब्धियों को गिनाया। पांच साल के दौरान हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों को जनता को बताया। रिंग रोड़, हरकी पैड़ी का सौंदर्यीकरण और ग्रामीण इलाकों में कराए गए सड़कों के कार्यों को अपनी उपलब्धि बताकर वोट मांगे।
कांग्रेस उम्मीदवार अंबरीश कुमार की बात करें तो उन्होंने प्रमुख रूप से खुद ही स्थानीय होने को सबसे ज्यादा हवा दी। इसी के साथ हरिद्वार के लोगों का सर्वाधिक हितैषी होने का दावा किया। बेरोजगारों को रोजगार दिलाने का भरोसा देने की बात चुनाव प्रचार के दौरान कही। बसपा-सपा गठबंधन उम्मीदवार अंतरिक्ष सैनी खुद को शिक्षित होने की बात कहते हुए क्षेत्र में शिक्षा के स्तर को सुधारने का प्रचार करते दिखाई दिए। उन्होंने एक वर्ग विशेष को ही अपना कैडर वोट मानते हुए चुनाव प्रचार किया, दूसरे में सेंधमारी पर फोकस किया।
निर्दलीय उम्मीदवार मनीष वर्मा की बात करें तो उनका पूरे चुनाव में निशंक की आलोचना करना ही एक मुख्य मुद्दा रहा। वह निशंक के खिलाफ कोर्ट में याचिका डालकर ही सुर्खियों में बने रहे, वहीं अन्य दूसरे निर्दलीय अपने-अपने सीमित क्षेत्रों में ही चुनाव प्रचार करते नजर आए। लोकसभा का चुनावी क्षेत्र बड़ा होने के चलते निर्दलीय उम्मीदवार मीडिया की पहुंच से भी दूर रहे और मीडिया से भी दूरी बनाकर रखी।