अगर आप गंगा में प्रदुषण करते है तो चेत जाईये क्योंकि आने वाले दिनों में आपको सजा भी हो सकती है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक गंगा निर्मल और स्वच्छ नही हो आई है ऐसे में अब उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने गंगा के प्रति एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए गंगा को जीवित मनुष्य के समान अधिकार देने का फैसला किया है जो की गंगा माँ के लिए एक एहम कदम माना जा रहा है।
धरती की सबसे पावन नदी गंगा जिसके एक आचमन से ही जन्मों-जन्मों के पाप धुल जाते है आज खुद बेहद मैली हो चुकी है। जिनके लिए इस पावन नदी को धरती पर आना पड़ा उन्ही ने इसकी कदर नहीं की जिसके चलते आज गंगा अपने ही घर में मैली हो चुकी है। गंगा में बढ़ते प्रदूषण को रोकने में जहाँ सरकार नाकाम दिखती आई है तो वहीँ अब उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने गंगा के लिए बेहद खास कदम उठाया है।
नैनीताल कोर्ट ने गंगा नदी को भारत की पहली जीवित मानव की संज्ञा दी है यानि की गंगा और युमना नदी को जीवित मानव के समान अधिकार दिए जाने को कहा है। ये मैली होती गंगा नदी के लिए अहम कदम माना जा रहा है। देश में पहली बार किसी अदालत ने गंगा और युमना नदी के लिए ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायालय ने केंद्र सरकार को 8 सप्ताह में गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाने के निर्देश दिए है और जल्द से जल्द इसपर काम करने को कहा गया है।
आपको बता दे की विश्व में अभी तक सिर्फ न्यूजीलैंड की वानकुई नदी को ही जीवित मनुष्य के समान अधिकार दिए गए है ऐसे में नैनीताल हाई कोर्ट का गंगा-युमना के प्रति लिया गया ये फैसला काफी सराहनीय है। गंगा प्रेमी मानते है कि इस फैसले का गंगा पर बेहद अच्छा असर पड़ेगा और गंगा एक बार फिर साफ़ और स्वच्छ हो सकेगी। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के इस कदम से जहाँ लोगों में गंगा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी तो वहीँ लगातार मैली होती गंगा को स्वच्छ बनाया जा सकेगा।