उत्तराखंड में 60 प्रतिशत कम हुई जाड़े की बारिश

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उत्तराखंड जो अपनी सर्दियों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है पर भी वैश्विक गर्मी का भारी असर पड़ रहा है। जाड़ों में यहां हफ्ते-हफ्ते की झड़ी लगती थी,लेकिन इसे जनसंख्या घनत्व का कारण कहें या वैश्विक गर्मी का बरसात काफी कम हो गई है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष सर्दियों की तुलना में इस बार वर्षा लगभग 60 प्रतिशत कम रही है। जिसके कारण प्रदेश में सूखे की स्थिति आ गई है। मई में दहकने वाले जंगल अभी से जलने लगे हैं और अप्रैल के बाद खिलने वाला बुरांस अभी से खिल गया है,जो इस बात का प्रतीक है कि गर्मियों में पहाड़ भी भीषण गर्मी की चपेट में रहेंगे।

मौसम विभाग के विशेषज्ञ इसका कारण पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता में कमी आना बता रहे हैं। दूसरी ओर वैश्विक गर्मी (ग्लोबल वार्मिंग )का पूरा-पूरा प्रभाव भी जाड़े की बारिश पर पड़ रहा है। जिसके कारण नमी अपेक्षाकृत कम हुई है। मौसम विभाग के आंकड़े इस बात की घोषणा करते हैं कि राज्य में इस बार शीतकाल के दौरान औसतन सामान्य से लगभग 50 प्रतिशत बारिश कम हुई है।
दिसंबर से फ रवरी तक सामान्य औसत बारिश 104 मिमी मानी जाती है,लेकिन इस वर्ष यह लगभग 60 के मिमी के आसपास पहुंची है। वैज्ञानिकों के अनुसार शीतकालीन वर्षा पश्चिमी विक्षोभ पर आधारित होती है,जो इस बार सामान्य से कम रही। ऐसा नहीं है आसमान में तो बादल आए, लेकिन जो बादल आए वह भी अधिक शक्तिशाली नही रहे जिसके कारण बारिश न के बराबर हुई है। यही कारण है कि सर्दियां भी काफी कम रही हैं। शीतकालीन वर्षा के अभी कुछ दिन हैं, लेकिन अब तक जो अनुमान लगाया जा रहा है उसके अनुसार वर्षा में काफी गिरावट है। इसका पूरा-पूरा असर इस बार की ठंड पर रहा है।
वर्षा न होने का पूरा प्रभाव जाड़े पर पड़ा है वहीं आने वाली गर्मियां पेयजल के किल्लत के नाम पर रहेंगी। इसका पूरा-पूरा दुष्प्रभाव गर्मियों में दिखाई देगा। पेयजल की किल्लत के साथ-साथ वनों की आग तापमान को और बढ़ाएगी,जिसके कारण पहाड़ों का तापमान भी आसमान छूने लगेगा। मौसम विभाग के निदेशक डा. विक्रम सिंह का कहना है कि ठंड की बारिश में जो कमी आई है, अब उसकी भरपाई मार्च-अप्रैल में होने वाली वर्षा पर टिकी हुई है। पश्चिमी विक्षोभ अन्तिम अप्र्रल तक सक्रिय रहता है। इसके बाद मई मध्य अथवा जून से प्री-मानसून शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्षा कम होने के कारण नमी जल्दी खत्म होने लगती है जिसके परिणामस्वरूप गर्मी अभी से बढने लगी है। अन्तिम फरवरी में1 से 3 डिग्री सेल्सियस पारा ऊपर जाना शुरू हो गया है।
मौसम विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में सर्दियों में 67 प्रतिशत वर्षा कम रिकार्ड की गई है। ऊधमसिंह नगर कुमाऊं में इस मौसम में 96 प्रतिशत बारिश घटी है जिसके कारण क्षेत्र प्रभावित है,जबकि इसके चपेट में कई जिले आए हैं। शीतकालीन मौसमी वर्षा देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया है कि उत्तराखंड में जनवरी और फरवरी में बारिश का केवल 34.6 मिलीमीटर प्राप्त किया। मौसम विभाग ने बताया कि मौसम शुष्क रहने की उम्मीद है और तापमान में वृद्धि की उम्मीद है।

कहां कितनी कम बारिश जाड़ों में
जिलेवार बारिश का प्रतिशत, अल्मोड़ा 81 , बागेश्वर 94, चमोली 73, चंपावत 83,देहरादून 60 , पौड़ी गढ़वाल 80, टिहरी गढ़वाल 51 , हरिद्वार 78, नैनीताल 79, पिथौरागढ़ 57, रूद्रप्रयाग 80, ऊधम सिंह नगर 96 ,उत्तरकाशी 50, कुल अनुपातिक प्रतिशत 67 है।