अब पहाड़ी फसल से तैयार होगा मंदिर का प्रसाद

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Prasad made from natural crops grown in uttarakhand
Prasad

आईडीएस संस्था ने रैनॉसा इन्सटीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट एवं टेकनोलॉजी के मदद से स्थानीय कृषि उत्पाद जैसे चौलाई, मक्की, अखरोट, घीं, गुङ आदि से मन्दिर का प्रसाद तैयार करना और मन्दिरों में इसको बांटने के लिए धार्मिक संस्थाओं से इजाजत लेने, की पहल,आईडीएस संस्था के भरत पटवाल ने की है। स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा और युवाओं/महिलाओं के रोजगार की तलाश में पलायन रोकने के लिए गांव में स्वयं सहायता समूह भी बनाये है। इन सभी समूहों को प्रसाद तैयार करने में टेक्नीकल ट्रेनिंग उत्तराखंड पयर्टन विकास परिषद् के माध्यम से आईडीएस द्वारा दिया जायेगा। उत्तराखंड के सभी धार्मिक पर्यटक स्थलों में बाजार से बनीं ईलायची दाना प्रसाद के रूप में बांटी जाती थी, जबकि पहाड़ी जैविक फसल के उत्पादों से बनें प्रसाद के चढ़ावे के रूप में बहुत सम्भावनायें है, यह कहना है आईडीएस संस्था के भरत पटवाल का।

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टेक्नीकल लेवल पर ट्रेनिंग लेने के बाद युवाओं/महिलाओं के समूह खुद प्रसाद तैयार कर बेचने का रोजगार शुरु कर सकेगें। इस कड़ी में सबसे पहले लाखामण्डल में तीन दिन की ट्रेनिंग हो चुकी है, जिसमें 15 महिलाओं ने भाग लिया। इसके बाद 11 मई 2017 से  हनोल, सेम-मुखेम, मुखवा, कालीमठ, तुंगनाथ, कार्तिक स्वामी, नीलकंठ, नीलकंठ, जागेश्वर, देवीधूरा, कटारमल आदि मंदिरों में अगले एक महीने के अंदर ट्रेनिंग दि जानी है।

साथ ही प्रसाद की पैकेजिंग के लिए पॉलिथीन की जगह पर्यावरण फ्रेंडली सामग्री जैसे जूट के बैग भी बनाए जाऐंगे। ट्रेनिंग टीम में चन्द्रमोहन थपलियाल, सचिन रावत, संतोष चमोली, कल्पना, परमेश्वरी रावत और ट्रेनिंग करने वालों में देविन्द्रा, बीना भट्ट, रीना गौड़, शीला देवी, टीकाराम नौटियाल, बारूदत्त, सचिदानन्द, गोविन्दराम नौटियाल लोगों ने भाग लिया।