चेन्नैई से शुरू हुई पानी की किल्लत ने आखिरकार सरकार और समाज का रुख हमारे सामने खड़ी इस बड़ी समस्या की तरफ कर ही दिया। इसके चलते पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने पानी बचाने की मुहिम शुरू कर दी है। पानी बचाने की इस मुहिम में सरकार से ज्यादा जिम्मेदारी आम नागरिक की है। अपने जिम्मेदारी के समझने की कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है देहरादून के आशीष गर्ग ने।
दरअसल बारिश का पानी बिल्कुल साफ और पीने लायक होता है, ज्यादातर मकानों की छत के पाइप से सड़क किनारे की नालियों से होता हुआ गंदे नालों में मिलकर नदियों को प्रदूषित करता है और बीच में कई जगह जहां नाले चोक होते हैं, वहां रास्तों में गंदे पानी के भराव का कारण भी बनता है।
देश के अन्य हिस्सों की ही तरह उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी इलाको में पानी की किल्लत रहती है। राजधानी देहरादून की बात करें तो आने वाले समय में देहरादून में नदियों में और भूजल में भारी मात्रा में कमी होने वाली है।
इन नदियों को बचाने और पानी की ज़रूरतों पर लगाम लगाने का एक सार्रथक तरीका है बारिश के पानी को एक पाइप से जोड़कर घर की बाउंड्री के अंदर या आसपास कच्ची भूमि में गिरने दें तो ये भूजल को रिचार्ज करेगा। केवल इतना ध्यान रखे कि पानी गिरनेे का स्थान घर से 4-5 फूट की दूरी पर हो और यदि पानी का वेग ज्यादा हो, वहाँ कोई समतल पत्थर या टाइल रख देे जिससेे भूमि का कटाव न हो।