देहरादून, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि उत्तराखंड की धरती ऋषि मुनियों की धरती है। ओम बिरला उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित 79वें विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के दो दिवसीय सम्मेलन में कही। लोकसभा अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री त्रिवेंद सिंह रावत ने बुधवार को इस सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन किया और उपस्थित पीठासीन अधिकारियों को संबोधित किया।
लोस अध्यक्ष बिरला ने कहा कि हम सबकी लोकतंत्र में प्रभावी आस्था है। हमारी आस्था का प्रमाण इस बात से मिलता है कि 17वीं लोकसभा में 67.40 मतदान हुआ है जो लोकतंत्र के पुष्ट होने का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि लोकसभा सदन की कार्यवाही 37 दिन चली और 35 विधेयक पास हुए। एक भी दिन सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं हुई जो लोकतंत्र का जीवंत रूप है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन लोकतंत्र, जनता के विश्वास और भरोसे का मंदिर है। इस मंदिर के माध्यम से जनसमस्याएं उठाई जाती हैं और उसका समाधान किया जाता है। प्रश्नकाल और शून्यकाल में अधिकतर सदस्यों को बोलने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि देहरादून में आयोजित इस सम्मेलन में दल-बदल कानून पर गंभीरता से मंथन होगा।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुने हुए प्रतिनिधियों से जनता को अपेक्षा होती है कि वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगे। यही जन प्रतिनिधि का महत्वपूर्ण कर्तव्य है। इसी अपेक्षा के साथ सदन की कार्यवाही चलाई जाती है। कहा कि 2020 में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। 2022 में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। 2021 में अगला पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन आहूत किया जाएगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है कि पहली बार विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हो रहा है। उन्होंने कहा कि सदन जनाकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम होते हैं। हम सभी जनप्रतिनिधियों को इस संदर्भ में विशेष चिंतन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों की विधानसभाओं में भी सदन की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने की जरूरत है।
देहरादून में आयोजित यह सम्मेलन कई मायने में महत्वपूर्ण है। इस सम्मेलन में संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत दलबदल करने वाले सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने में अध्यक्ष की भूमिका विषय पर भी चिंतन मनन होगा। आयोजन में लोकसभा व राज्यसभा तथा राज्यों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी अपने अनुभवों को एक दूसरे से बांटेंगे। इस सम्मेलन में दो प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी। इनमें पहली चर्चा संविधान की 10वीं अनुसूची में अध्यक्ष की भूमिका विषय पर की जाएगी।
संविधान प्रदत्त प्रावधानों के तहत कोई सदस्य अयोग्य है कि नहीं, ऐसे प्रकरणों में प्रत्येक सभापति या अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है। चर्चा का एक और महत्वपूर्ण विषय है शून्यकाल सहित सभा के अन्य साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र का सुदृढ़ीकरण तथा क्षमता निर्माण है।
इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक समेत प्रदेश सरकार के मंत्री, शहर के विधायक व पूर्व विधायक भी उपस्थित थे। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने इस अवसर पर लोस अध्यक्ष व पीठासीन अधिकारियों का स्वागत किया।