लंबा खिंचेगा 30 फीसदी पंचायतों में प्रशासक राज?

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    उत्तराखंड
    उत्तराखंड में पंचायत चुनाव का एक दौर निबट चुका है। चुनाव नतीजे आने बाकी हैं, लेकिन 30 फीसदी ग्राम पंचायतों के गठन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसकी वजह ग्राम पंचायत सदस्यों के 24 हजार पदों का चुनाव के बाद भी खाली रहना है। ग्राम पंचायतों की गठन की प्रक्रिया के दौरान वहां कोरम पूरा होना मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में इन ग्राम पंचायतों में प्रशासकों का राज लंबा खिंचने के आसार बढ़ रहे हैं। हालांकि पूरी स्थिति 21 अक्टूबर को चुनाव नतीजे सामने आने के बाद ही साफ हो पाएगी।
    उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़कर शेष 12 जिलों में तीन चरणों में मतदान कराया जा चुका है। चुनाव नतीजों के बाद सबसे पहले ग्राम पंचायतों का गठन होना है। 12 जिलों में ग्राम पंचायतों की कुल संख्या 7485 है। इनमें 55 हजार 574 पद ग्राम पंचायत सदस्यों के हैं, लेकिन 24 हजार पद एक भी नामांकन न होने के कारण रिक्त घोषित होने जा रहे हैं। यूं तो राज्य बनने के बाद हुए हर चुनाव में ग्राम पंचायत सदस्यों के पद खाली रहते आए हैं, लेकिन इस बार आंकड़ा बड़ा है।
    ग्राम पंचायत के गठन के लिए जो कोरम अपेक्षित है, उसमें प्रधान के अलावा दो तिहाई ग्राम पंचायत सदस्यों का चुना जाना जरूरी है। मगर, मोटे तौर पर जो आंकलन किया है, उसमें 30 फीसदी ग्राम पंचायतों में काफी कम सदस्य चुनकर आ रहे हैं। एक अफसर के मुताबिक दो से ढाई हजार ग्राम पंचायतों का गठन अटक सकता है। ऐसे में नए सिरे से चुनाव की प्रक्रिया में जाना जरूरी होगा।
    -एक आकलन के मुताबिक, 30 फीसदी पंचायतों के गठन पर संकट
    -चुनाव के बावजूद ग्राम पंचायत सदस्य के 24 हजार पद हैं खाली
    वैसे, चुनाव नतीजे आने से पूर्व बन रही इस स्थिति पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। पंचायत संगठनों से जुडे़ लोगों का आरोप है कि दो बच्चों और शैक्षिक योग्यता की शर्त चुनाव में लागू करने की वजह से ये समस्या पेश आने जा रही है। इधर, सरकार का कहना है कि हर चुनाव में ग्राम पंचायत सदस्य के पद रिक्त रहते आए हैं। इसका दो बच्चों और शैक्षिक योग्यता की शर्तों से कोई लेना देना नहीं है। इन स्थितियों के बीच, ग्राम पंचायतों का गठन अटकता है तो वहां पर प्रशासक व्यवस्था जारी रहेगी। इस वर्ष जुलाई में पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने पर सरकार ने पंचायतों में छह महीने के लिए प्रशासक बिठा दिए थे।