भले ही शासन से लेकर खेल विभाग तक उत्तराखंड में होने वाले अगले नेशनल गेम्स में बेहतर प्रदर्शन करने का दावा करते नजर आ रहे हो, लेकिन यदि राज्य की अब तक की तैयारियों पर ध्यान दें तो तैयारी पूरी तरह से धराशायी होती नजर आ रही है। कारण ये है कि न राज्य के पास नेशनल गेम्स जैसे इवेंट के लिए प्रशिक्षक हैं और न संसाधन। स्थिति ये है कि कई खेल तो ऐसे हैं जिनके लिए राज्य के पास खेलने की जगह तक उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में खिलाडिय़ों से पदक जीतने की उम्मीद लगाना बेमानी होगा।
दरअसल, गुरुवार को बैठक के दौरान जब सचिव खेल व राज्य के खेल संघों के पदाधिकारी आमने-सामने आए तो उत्तराखंड में खेल की स्थिति से पदा उठ गया। अब जिमनास्टिक को ही ले लीजिए, राज्य पदक जीतने का दावा ठोक रहा है और हालत ये है कि उत्तराखंड में जिमनास्टि के लिए एक अदद हॉल तक नहीं है। ये बात जब बैठक में सामने आई तो सब हैरान रह गए। इसके बाद हॉकी संघ के पदाधिकारी ने कहा कि पदक जीतने के लिए उन्हें टफ के अलग-अलग शहरों में चार मैदान चाहिए, जहां वह 12 प्रशिक्षण कैंप लगाकर खिलाडिय़ों को बेहतर तैयारी करा सके। लेकिन, सचिव ने हाथ खड़े करते हुए कह दिया कि ‘हमारे पास स्पोट्र्स कॉलेज में सिर्फ एक टफ का ग्राउंड उपलब्ध है, जो भी तैयारी करनी है इसी पर करनी होगी।’
अब बारी आई कबड्डी के प्रतिनिधि के बोलने की तो उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कबड्डी के कोच की बात तो बहुत दूर, यहां खिलाडिय़ों के लिए एक मैट भी उपलब्ध नहीं है। एक पदाधिकारी ने कहा कि राज्य नेशनल गेम्स की तैयारी तो कर रहा है, लेकिन आईओए से कोई तकनीकी सलाहकार अब तक नहीं मंगाया गया। कहीं ऐसा न हो जाए कि जब राज्य इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करें और तकनीकी सलाहकार आकर उसे रद्द कर दें। इससे बचने के लिए राज्य को पहले ही तकनीकी सलाहकार बुलाकर काम करना चाहिए। बैठक के दौरान इसके अलावा भी कई खामियां नजर सामने आई।