‘मन में विश्वास,लक्ष्य हों पक्के
तो एक दिन होंगे तेरे सारे सपने सच्चे
रुको मत, अभी तो ज़िन्दगी बाकी है
थको मत, अभी तो हौसलों की उड़ान बाकी है। ‘
ऋषिकेश, यह पंक्तियां सटीक बैठती है ऋषिकेश की वर्तिका जोशी पर जिसने नौसेना के आईएनएस तरुणी पर सवार होकर कैप हॉर्न पर राष्ट्रीय तिरंगे को लहरा कर देश का नाम रोशन किया। लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ऋषिकेश की रहने वाली है। अभियान पूरा करने के बाद वापस घर लौटने पर में उनके घर पर वर्तिका की इस कामयाबी पर खुशी का माहौल है। वर्तिका की मां डॉ अल्पना जोशी ऋषिकेश के महाविद्यालय मे कार्यरत है, वर्तिका का ऋषिकेश आने परपी जी ऑटोनोमस कॉलेज की ओर से उनका सम्मान किया गया।
इस अवसर पर वर्तिका जोशी ने छात्र छात्राओं के साथ अपने इस अभियान के अनुभव को साझा किया, उन्होंने बताया कि, “नाविका सागर परिक्रमा एक चुनौतीपूर्ण अभियान था, चूंकि आज तक किसी ने भी इस तरह का अभियान पाल नौका के जरिये पूरा नहीं किया था और वह भी सिर्फ महिलाओं के क्रू ने।” वर्तिका जोशी ने बताया कि, “254 दिन तक चले इस अभियान में कई विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। कई बार तो समुद्र की लहरों ने ऐसी चुनौती दी कि मन भीतर तक कांप गया। मगर, अभियान दलk के पक्के इरादे और दृढ़ निश्चय ने सभी चुनौतियों को आसान बना दिया।”
गौरतलब है कि 10 दिसबंर को उन्होंने गोवा से इस अभियान की शुरुआत की थी। मगर, सबसे अधिक चुनौती प्रशांत महासागर ने दी,जब वह धरती से करीब पांच हजार किलोमीटर दूर केथोन में थे तभी एक समुद्री तूफान आ गया। केथोन को समुद्र का माउंट एवरेस्ट कहा जाता है। इस तूफान को वह पांच दिनों से समझने की कोशिश कर रहे थे। मगर आखिर एक रात को समुद्र में भयंकर तूफान आ गया, समुद्र की लहरें नौ से दस मीटर तक ऊंची उठने लगी। ऐसा लगा मानो कोई लहर इस छोटी सी नौका को अपने आगोश में ले लेगी। मगर, हार नहीं मानी और समुद्र की लहरों से जूझते रहे और आखिर उस तूफान से निकलने में कामयाब रहे।
युवाओं ने वर्तिका जोशी के साथ संवाद कायम करके भविष्य के लिए सपने सजाएं हैं, वर्तिका ने भी लड़के और लड़कियों को अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए जी जान लगाने की प्रेरणा दी। जितने भी मुश्किल है, राह में आए अगर लक्ष्य पर आपका ध्यान है तो मुश्किले बोनी साबित होती हैं, लक्ष्य हासिल हो जाता है।