प्रसून जोशी को भाया गंगा का तट, पहाड़ों से निकलती है कविताएं

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ऋषिकेश, विज्ञापन की दुनिया से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले प्रसून जोशी का बचपन उत्तराखंड की वादियों में ही बीता है। नरेंद्रनगर और गोपेश्वर से प्राथमिक पढ़ाई और कुमाउ की पगडंडियों से जीवन की निश्चलता को लेकर प्रसून ने मुंबई महानगर में अपने को स्थापित किया। पहाड़ से बेहद लगाव होने के चलते प्रसून जोशी के दिल में उत्तराखंड बसता है। अपने परिवार के साथ ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन में पहुंचकर प्रसून जोशी ने गंगा की आरती करी और यहां चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी ली।

प्रसून जोशी ने न्यूज़ पोस्ट के साथ बात करते हुए बताया कि, “ऋषिकेश विश्व के नक्शे पर अपनी एक अलग पहचान रखता है अध्यात्म और योग गंगा की धाराओं के साथ-साथ बहते हुए पूरे विश्व को एक दिशा दे रहे हैं,मेरे जैसे लोगों को पहाड़ ,प्रकृति और गंगा जीवन को गहराई से देखने की समझ देते हैं जिससे रचनाएं और कविताएं उत्पन्न होती है।”

पलायन के विषय में चर्चा की। उन्होंने कहा ,कि “युवाओं को पहाड़ पर ही रोजगार उपलब्ध कराया जाना चाहिए नहीं तो पलायन के दंश पहाड़ों को सुना कर देगा और धीरे-धीरे पहाड़ों की संस्कृति विलुप्त हो जाएगी। पलायन बढ़ेगा तो पहाड़ों पर होटल संस्कृति का तेजी से विकास होगा। जिससे यहां का प्राकृतिक सौंदर्य समाप्त होने लगेगा। युवाओं को पहाड़ों पर ही रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करना बेहतर विकल्प है।”

स्वामी चिदानंद महाराज ने कहा कि, “फिल्मों के माध्यम से उत्तराखंड की प्राकृतिक वादियां, पहाड़ की संस्कृति और गंगा की संस्कृति को बेहतर रूप में परिभाषित करने का माध्यम है सिनेमा। सिनेमा के माध्यम से इसे पहाड़ पर रहने वाले लोगों की समस्याओं को भी अवगत कराया जा सकता है तथा देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने का माध्यम भी है।”