मैड ने जल पुरुष को दिखाया निर्जल रिस्पना का हाल!

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देहरादून के शिक्षित छात्रों के संगठन मेकिंग ए डिफ्फेरेंस बाय बीइंग दी डिफ्फेरेंस (मैड) संस्था ने बृहस्पतिवार को जल पुरुष के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह को रिस्पना पुल पर आयोजित संस्था की नुक्कड़ पे चर्चा में आमंत्रित किया। इस चर्चा के माध्यम से मैड ने राजेंद्र सिंह से उनके द्वारा नदियों के पुनर्जीवन पर किये काम की जानकारी एवं उनके प्रेरणा स्त्रोत को पहचान ने की कोशिश की। गौरतलब है की राजेंद्र सिंह पूरे देश में कई जगहों पर विलुप्त होती जलधाराओं में फिर जान फूंकने में कामियाब रहे हैं और इसीलिए उन्हें जल पुरुष के नाम से भी जाना जाता है।

मैड संगठन के छात्र छात्राओं ने राजेंद्र सिंह को रिस्पना, बिंदाल और सुस्वा की जर्जर हालत का विस्तृत ब्यौरा दिया। मैड ने बताया की राष्ट्रीय जलविज्ञान संसथान रुड़की द्वारा बारहमासी पहले ही चिन्हित की जा चुकी रिस्पना नदी पर आज भी बेइंतिहां अतिक्रमण जारी है और जलधारा सिकुड़ती जा रही है। मैड ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी किया अधिनियम भी सिंह से साँझा किया जिसमे स्पष्ट तौर पर रिस्पना और बिंदल को गंगा रिवर बेसिन का अहम् भाग माना गया है।

इसके जवाब में राजेंद्र सिंह ने संस्था के सदस्यों को बताया कि एक सक्रीय सरकारी तंत्र का बिना किसी दबाव के यह अपने आप ही फ़र्ज़ बनता है की वह पर्यावरण संरक्षण हेतु सभी उचित कदम उठाये। उन्होंने यह भी बताया की यह तो स्वाभाविक है कि रिस्पना, सुस्वा एवं बिंदाल ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में जनम लेती और बहती हर जलधारा कहीं न कहीं गंगा रिवर बेसिन का ही एक भाग है।

सिंह ने मैड संस्था द्वारा समय समय पर चलाये जा रहे व्यापक अभियानों का संज्ञान लिया और उन्हें यह सुझाव दिया की वह यूँही ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ती रहे और सरकारी तंत्र को भी समय समय पर जनभावना से अवगत कराने का काम करती रहे।

मैड द्वारा आयोजित इस नुक्कड़ पे चर्चा में कई दर्जनों सदस्य एवं आम दून वासी शामिल हुए। इनमें करन कपूर, सम्मानिका रावत, चेतना, मयंक, अंशिका, अभिषेक जौनसारी, श्रेया, हिमानी, शिवांगी, विवेक, आश्रित, विजय और वैशाली ने सक्रीय भूमिका निभाई।